Friday , May 9 2025

CJI ने राष्ट्रपति और PM को भेजी जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जाँच रिपोर्ट, कैश मिलने की पुष्टि फिर भी इस्तीफा देने से किया इनकार: चल सकता है महाभियोग

जस्टिस यशवंत वर्मा, कैशभारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने आंतरिक जाँच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। समिति का गठन जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में नकदी मिलने के दावों की जाँच के लिए किया गया था।

समिति की रिपोर्ट के साथ जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई। हालाँकि रिपोर्टों में यह स्पष्ट नहीं है कि जस्टिस वर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में क्या कहा है। इससे पहले खबरें आई थी कि आंतरिक जाँच समिति ने जस्टिस वर्मा के घर आगजनी में कैश जलने की बात सही पाई है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से 8 मई 2025 को जारी बयान में कहा गया है, “मुख्य न्यायाधीश ने आंतरिक जाँच प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को 3 मई 2025 की 3 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी और जस्टिस यशवंत वर्मा का 6 मई 2025 का पत्र/जवाब भेजा दिया है।”

आंतरिक जाँच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। इन्होंने 25 मार्च को जाँच शुरू की थी। जस्टिस वर्मा के घर में 14 मार्च 2025 को आग लगी थी। उसके बाद बेहिसाब कैश बरामद होने की बात सामने आई थी। जले हुए नोटों की तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए थे।

जिस समिति ने इस मामले की जाँच की है उसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस GS संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश अनु सिवारमन शामिल थे। 25 मार्च को समिति ने जाँच की प्रक्रिया शुरू की थी और 4 मई को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को रिपोर्ट सौंप दी थी। बताया जाता है कि जब आग लगी थी तब जज अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में थे, जबकि घर में उनकी बुजुर्ग माँ और बेटी मौजूद थी।

जले हुए कैश का वीडियो भी सामने आया था। हालाँकि, दिल्ली पुलिस ने बताया था कि इसके वीडियो जिन पुलिसकर्मियों ने बनाए थे वो उनके फोन से डिलीट करवा दिए गए, ताकि ये गलत जगह न पहुँच जाए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक ने कहा था कि बिना CJI की अनुमति के जज के विरुद्ध FIR दर्ज करने के अधिकार पुलिस के पास नहीं हैं। हालाँकि, अब भी जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जबकि जाँच समिति ने माना है कि उनके यहाँ से कैश मिला।

ऐसे में अगर वो दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें महाभियोग की प्रक्रिया के तहत भी हटाया जा सकता है। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मामले को लेकर सार्वजनिक रूप से बयान दिया था और न्यायपालिका की साख पर बट्टा बताते हुए कहा था कि जो भी मामला है वो बाहर आना चाहिए।

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