मुजफ्फरपुर। बालिका गृह यौन हिंसा और दुष्कर्म मामले की जांच में एक नई बात सामने आयी है।जांच एजेंसी को अब एक मिस्ट्री वुमन मधु की तलाश है, जो ब्रजेश की काली करतूतों की राजदार है। मधु ‘लालटेनपट्टी’ उजड़ने के बाद पहली बार ब्रजेश ठाकुर के संपर्क में आई थी। मधु ब्रजेश ठाकुर के संगठनों को देखना, चलाना करती थी।
मधु तब ब्रजेश के संपर्क में आयी थी जब 2001 में प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी दीपिका सूरी ने मुजफ्फरपुर के रेडलाइट एरिया चतुर्भुज स्थान इलाके में चल रहे देह व्यापार को ‘ऑपरेशन उजाला’ चलाकर खत्म कर दिया था। अभियान में कई तहखाने मिले, जहां लड़कियों को छुपाकर रखा गया था। मुख्य सरगना के रूप में अनवर मियां का नाम सामने आया।
प्रशिक्षु आइपीएस ने मोहल्ला सुधार समिति का गठन कराया। इसमें ब्रजेश ठाकुर की इंट्री हुई और मधु सहित 12 लोग इसके सदस्य बने।
मधु के हाथ संगठन की कमान
मोहल्ला सुधार समिति की देखरेख में वहां जागरूकता अभियान चलने लगा। सेवा संकल्प विकास समिति सक्रिय हुई। उसके बाद ब्रजेश ठाकुर ने वहां के समुदाय आधारित संगठन वामा शक्ति वाहिनी का गठन कर उसकी कमान मधु को दे दी। संगठन में प्रमुख सहयोगी मधु की बहन माला, कल्लो बेगम आदि महिलाएं काम करने लगीं। मोहल्ले में बिकने वाली लड़कियों को मुक्त कराना, एचआइवी एड्स के लिए जागरूक करना, इस संगठन ने अपना मुख्य काम बनाया। मधु के माध्यम से ब्रजेश ने वहां पैठ बनाई। बाद में बालिका सुधार गृह खुल गया। जहां लड़कियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।
नहीं आता था कोई देखने
सेंटर से बच्चियों के खरीद फरोख्त का धंधा भी पर्दे के पीछे चलने की बात दबी जुबान सामने आई। रेडलाइट एरिया में केंद्र खुलने के बाद लोगों में यह चर्चा रही कि यह सबसे सुरक्षित जगह है। पहले बनारस के एक ‘रईस’ कोठे पर आता था। उसके घर पर खुला सेंटर। इस कमाई से मधु ने अपनी जमीन ली और मकान बनाया। मोहल्ले के ही एक लड़के से शादी की। हालांकि, बाद में उससे रिश्ता ठीक-ठाक नहीं रहा।इधर, ब्रजेश ठाकुर जहां भी जाने को कहता मधु वहां जाती।
महिला प्रशिक्षण केंद्र की आड़ में होता था‘खेल’
तीन कोठिया स्थित रानी लॉज में यह संस्था वर्षो तक चली। बाद में आनन-फानन इसे बंद कर दिया गया। इस केंद्र की गतिविधियां संदिग्ध होने की वजह से स्थानीय लोगों में इसे लेकर काफी चर्चा थी। यहां न केंद्र का बोर्ड था और न ही संचालित करनेवाली संस्था का। केंद्र के अंदर आने-जानेवाले को लेकर काफी सख्ती बरती जाती। केंद्र के संचालन का जिम्मा भी मधु के जिम्मे था।
हर दिन शाम को ब्रजेश ठाकुर इस केंद्र पर आता था। उसके आते ही यहां की सिक्यूरिटी और कड़ी हो जाती थी। वह यहां काफी देर तक रहता था। स्थानीय लोगों की मानें तो शाम होते ही यहां बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकती थीं। लड़कियां व महिलाएं उसी में सवार होकर चली जाती थीं। सुबह में फिर उन्हीं गाड़ियां से लौटती थीं। संस्था को कई दबंगों व रसूखदारों का समर्थन था, जिसकी वजह से मोहल्ले के लोग चुपचाप रहते थे।
जो लड़की पसंद आती थी उससे मिलाता था हाथ
बालिका गृह की जांच के खुलासे के बाद यह बात सामने आ रही है कि जब रेडलाइट एरिया में बालिका सुधार गृह चल रहा था तो वहां से लड़कियों को ब्रजेश के आवासीय परिसर में बने कार्यालय में पेश किया जाता था। वहां जिस लड़की को वह पसंद करता था उससे हाथ मिलाता था और जो पसंद नहीं आती थी उसे हाथ जोड़कर प्रणाम करता था। पसंद आने पर उसके साथ यौन प्रताड़ना का दौर शुरू हो जाता था।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यहां वृद्ध आश्रम चल रहा था, मगर संस्था में एक भी वृद्ध नहीं था। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह संस्था 2007 से 09 तक चली। इसके बाद बंद कर दिया गया।
कहा-सहायक निदेशक ने
वृद्धा आश्रम का संचालन बीएमपी -छह के करीब हो रहा था। बालिका गृह का मामला सामने आने के बाद उसे बंद करा दिया गया। तीन कोठिया में ऐसे किसी संस्था के संचालन की जानकारी मुझे नहीं है।
दिवेश कुमार शर्मा, सहायक निदेशक