गुवाहाटी। असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) को अपडेट करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करने वाले मुख्य याचिकाकर्ता अभिजीत सरमा ने इस बात का श्रेय एक वृद्ध दंपती और एक सरकारी अधिकारी को दिया है।
मामले में मुख्य याचिकाकर्ता सरमा ने बताया कि प्रदीप कुमार भुयन और उनकी पत्नी बांती भुयन और सरकारी अफसर नबा कुमार डेका बरुआ के कारण ही हमें एनआरसी का पूर्ण मसौदा हासिल हुआ है। यह उनके लगातार मनाने का ही नतीजा है कि असम में भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सरमा ने बताया कि भुयन दंपती ने सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए अपने पास से मोटी रकम खर्च की है। भुयन उच्च कोटि के शिक्षाविद रहे हैं। उन्होंने पिछली सदी के सातवें दशक में गुवाहाटी में अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोला था। यह अब असम के प्रमुख स्कूलों में से एक है।
दूसरी ओर, स्थानीय अंग्रेजी अखबार असम ट्रिब्यून को दिए साक्षात्कार में भुयन ने एनआरसी की अपडेट प्रक्रिया के नतीजों पर संतोष जताया। भुयन ने एनआरसी अपडेट के लिए खुद कोई श्रेय न लेते हुए असम आंदोलन (1979-1985) के शहीदों को इसे श्रद्धांजलि बताया है। उन्होंने कहा कि पूर्ण मसौदा एक निष्पक्ष मसौदा है। इसमें से करीब 40 लाख नाम अलग किए गए हैं। हम असम में इतनी बड़ी तादाद में बांग्लादेशी घुसपैठियों के होने से चिंतित हैं। लेकिन अगर तादात में कोई मामूली फेरबदल होता है तो वह अहम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि असम में विगत सोमवार को एनआरसी के ऐतिहासिक मसौदे को पूरा किया गया। इसके मुताबिक 3,29,91,384 आवेदकों में से एनआरसी में 2,89,83,677 लोग ही शामिल किए गए हैं।