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NRC: 40 लाख अवैध शरणार्थियों में अनिश्चितता का माहौल, पड़ोसी राज्यों में घुसपैठ की कोशिश

नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के मसौदे के जारी होने के बाद देश में सियासी घमासान मच गया है. इन सबके बीच NRC सूची का प्रभाव पड़ोस के राज्यों पर भी पड़ता दिख रहा है. असम में एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट के बाद 40 लाख लोगों के नाम बाहर रह गए हैं. अब ये लोग दूसरे राज्यों में जाने की कोशिश में हैं.

ऐसी ही स्थिति देखने को मिली असम के पड़ोसी राज्य मेघालय में, जहां से घुसपैठ की कोशिशों की खबरें आ रही हैं. नॉर्थ-ईस्ट टुडे की एक खबर के अनुसार मेघालय में इन लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए मेघालय की खासी स्टूडेंट यूनियन (KSU) ने असम से आने वाले चेक पॉइंट-री भोई, ईस्ट जयंतिया हिल्स और वेस्ट खासी हिल्स पर चेक गेट स्थापित कर दिए हैं. इस बीच ऐसी भी खबरें आईं कि असम से भारी संख्या में ट्रक मे सवार लोगों को इन चेक पॉइंट्स पर रोका गया. KSU का दावा है कि मात्र एक दिन में एक हजार अवैध शरणार्थियों को राज्य में प्रवेश से रोका गया है.

KSU के महासचिव डोनाल्ड थाबा का कहना है कि जब से असम सरकार ने NRC की सूची जारी की है और ऐसा मालूम  हुआ कि 40 लाख लोगों को अपनी नागरिकता खोने का डर है. तब से KSU को इस बात को लेकर आशंका है कि असम से लगे 900 किमी की मेघालय की सीमा से घुसपैठ हो सकती है. और KSU के पास इतने बड़े पैमाने पर अवैध शरणार्थियों का प्रवेश रोकने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

मालूम हो कि जिला प्रशासन की तरफ से पहले ही इस बाबत एलर्ट जारी कर दिया गया था कि NRC के मसौदे को जारी करने के बाद भारी संख्या में अवैध शरणार्थियों के प्रवेश की संभावना है. इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए KSU ने वेस्ट खासी हिस्ल के अथियाबारी , री-भोई जिले के 20 एमईआर और ईस्ट जयंतिया हिल्स  के राताछेरा में चेक पॉइंट बना दिए है. शुरू में जिला प्रशासन ने KSU के सदस्यों को चेक पॉइंट बनाने से रोका, लेकिन KSU और जिला प्रशासन के बीच हुए समझौते के तहत KSU और राज्य पुलिस के जवानों को एक साथ वाहनों की चेकिंग के लिए  इन चेक पोस्ट पर तैनात किया गया है.

बता दें कि इससे पहले नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने अवैध शरणार्थियों का प्रवेश रोकने के लिए राज्य की असम से लगी सीमा पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी कर रखी है. हालांकि NRC के समन्वयक प्रतीक हजेला ने कहा है कि ड्राफ्ट सूची में जिनके नाम मौजूद नहीं होंगे उन्हें अपने दावों को साबित करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश दी जाएगी. उन्होने कहा है कि जिनके नाम नहीं है वो घबराएं नहीं बल्कि संबंधित सेवा केंद्रों में एक फ़ॉर्म को भरना होगा. यह फ़ॉर्म 7 अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे और अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि ड्राफ्ट में उनके नाम क्यों छूटे.

इसके बाद लोगों को उनके दावों को दर्ज कराने के लिए एक अन्य फ़ॉर्म भरना होगा जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध होगा. लेकिन अब संकट यह है कि लाखों शरणार्थियों को सही सूचना न होने के चलते इनमें अनिश्चितता और अफवाहों की वजह से भय का माहौल व्याप्त है.

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