बठिंडा। सुखपाल सिंह खैरा के नेतृत्व में आप विधायकों के एक समूह ने गुरुवार को पार्टी की पंजाब इकाई को ‘स्वायत्त’ घोषित कर दिया और इसके वर्तमान सांगठनिक ढांचे को ‘भंग’ कर दिया. लेकिन यहां एक सार्वजनिक बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए खैरा ने दिल्ली में नेतृत्व को एक हफ्ते का समय दिया कि उन्हें पंजाब में विधायक दल के नेता पद से हटाने के निर्णय की समीक्षा करे.
पद से हटाए जाने के बाद भोलथ के विधायक की तरफ से बुलाई गई ‘कार्यकर्ताओं की बैठक’ में 20 आप विधायकों में से आठ ने हिस्सा लिया. आप नेतृत्व ने पंजाब के सभी विधायकों को दिल्ली तलब कर संकेत दिए कि वे ‘पार्टी विरोधी’ मुहिम के साथ नहीं हैं. उनमें से कम से कम 11 विधायक राजधानी में नेताओं से मिलने आए.
आप की राज्य इकाई के सह-अध्यक्ष बलवीर सिंह ने कहा कि बठिंडा सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले विधायक एवं अन्य नेताओं को ‘गुमराह’ किया गया है और उम्मीद जताई कि पार्टी को मजबूत करने के लिए आने वाले दिनों में वे पार्टी लाइन का पालन करेंगे. उन्होंने बयान जारी कर कहा, ‘राज्य और केंद्रीय नेतृत्व से सलाह-मशविरा किए बगैर आम आदमी पार्टी के बैनर तले सम्मेलन का आयोजन करना अवैध है और नेताओं को भविष्य में इस तरह की गतिविधियों से बचना चाहिए.
आम आदमी पार्टी (आप) के केंद्रीय नेतृत्व को खुली चुनौती देते हुए विपक्ष के नेता पद से हटाए गए सुखपाल सिंह खैरा ने गुरुवार को बठिंडा में एक सम्मेलन आयोजित किया था. खैरा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि यह सम्मेलन यह बताने के लिए आयोजित किया गया है कि पंजाब में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास अपने विचार रखने और इन्हें व्यक्त करने का अधिकार है.
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब विधानसभा में आप के 20 में से 11 विधायक दिल्ली में मौजूद थे जबकि अन्य विधायक सम्मेलन में शामिल हुए. खैरा ने कहा, ‘मेरी लड़ाई पंजाब के भले के लिए है. मैं किसी पद का आकांक्षी नहीं हूं. मैं सभी पंजाबियों के लिए आवाज उठाऊंगा. प्रदेश को बादल परिवार और अमरिंदर सिंह के बुरे शासन ने बरबाद कर दिया. यह मेरी नहीं बल्कि पंजाब की लड़ाई है.’