नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के बुलाए गए बंद के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35A को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी. इस सुनवाई पर घाटी के लोगों के साथ-साथ पूरे देश की नज़रें हैं. 35A के मुद्दे पर सुनवाई के बीच अलगाववादियों ने दो दिन का बंद बुलाया है, जिसका आज दूसरा दिन है.
अलगाववादियों के दो दिन के बंद के बीच राज्य में कई जगह रैलियां और प्रदर्शन हुए. इसके चलते एहतियातन राज्य में अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई.
राज्य के रामबन, डोडा और किश्तवाड़ से अनुच्छेद 35 ए के समर्थन में आंशिक हड़ताल और शांतिपूर्ण रैलियां हुईं. विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने अनुच्छेद 35 ए को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने के खिलाफ दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है.
राज्य में नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा और कांग्रेस की राज्य इकाई सहित राजनीतिक दल और अलगाववादी अनुच्छेद 35 ए पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग कर रहे हैं. इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर से बाहर के लोग राज्य में कोई भी अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते.
हुर्रियत नेता बिलाल वार ने कहा कि 35 ए के कारण कश्मीर एक है. अगर इसे हटाया गया तो जंग छिड़ जाएगी. वहीं, चार दिन पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता जावेद राणा ने कहा कि बंद के दौरान कोई तिरंगा नहीं उठाएगा. ऐसा करने पर अंजाम बुरा होगा.
क्या है अनुच्छेद 35A?
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें.
अनुच्छेद 35A, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.
अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.