नींद न आने की समस्या से इन दिनों हर दूसरा शख्स जूझ रहा है। अक्सर इस समस्या को आप एक बीमारी का नाम दे देते हैं। यह भी देखा गया है कि इस समस्या के सही कारणों को जाने बिना कुछ लोग नींद की गोलियां खाना भी प्रारम्भ कर देते हैं। नींद की यह गोली उनको कुछ देर के लिए सुला जरूर देती है, लेकिन अगली प्रातः काल आपके लिए कुछ समस्याएं भी पैदा कर देती है। नींद की गोली के लगातार इस्तेमाल से आपकी हालत एक ड्रग एडिक्ट की तरह होने की संभावनाएं भी बढ़ने लगती हैं।
वहीं इस बारे में, डॉक्टर्स का कहना है कि नींद न आने की समस्या के लिए कुछ मेडिकल रीजन भी हैं, लेकिन ज्यादातर लोग अपनी असंयमित दिनचर्या के चलते इस समस्या से जूझ रहे हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा सुधार लाकर आप नींद न आने की समस्या से निजात पाया जा सकता है। नींद न आने की इसी समस्या को लेकर हमने इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ। तरुण कुमार साहनी से बात की। आइए आपको बताते हैं कि आपकी नींद उड़ने की वजह क्या है व उड़ी हुई नींद को बेहद सरल उपायों से वापस कैसे बुलाया जा सकता है।
डॉ। तरुण कुमार साहनी के अनुसार, हमारा बॉडी पूरी तरह से नींद पर निर्भर करता है। पूरे दिन की भागमभाग के बाद जब हम रात में सोते हैं, तब गहरी नींद हमारे बॉडी की एनर्जी को रिचार्ज करती है। एनर्जी रिचार्ज की इसी प्रक्रिया को मेडिकल की भाषा में स्लीप रिदम कहा जाता है। यदि हमारा स्लीप रिदम अच्छा नहीं होगा तो उसके साइड इफेक्ट धीरे-धीरे न केवल हमारे बॉडी बल्कि व्यवहार में भी नजर आने लगेंगे। आपके स्वस्थ्य रहने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि आप रात में करीब छह से आठ घंटे की पूरी नींद जरूर लें। स्वस्थ्य बॉडीके लिए छह से आठ घंटे की नींद को मेडिकल साइंस ने भी स्वीकृति दी है।
क्यों नहीं आती नींद
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के डॉ। तरुण कुमार साहनी ने बताया कि नींद न आने के दो कारण हैं। पहला कारण, आपके बॉडी में मौजूद कुछ विकार हो सकता हैं। जिसे हम मेडिकल की भाषा में स्लीप एपनिया सिंड्रोम बोलते हैं। वहीं, दूसरा कारण पूरी तरह से जीवन स्टाइल से जुड़ा हुआ है। जीवन स्टाइल के चलते नींद न आने की समस्य में बॉडी बायोरिदम का सबसे बड़ा भूमिका होता है। बॉडी बायोरिदम बिगड़ने से अक्सर लोगों को नींद आना बंद हो जाती है। तमाम कोशिशें करने के बावजूद वह महज दो से तीन घंटे की गहरी नींद ले पाते हैं।
क्या है बायोरिदम
डॉ। तरुण कुमार साहनी के अनुसार, हर व्यक्ति की एक दिनचर्या होती है। उदाहरण के तौर पर वह प्रातः काल छह बजे सोकर उठता है, आठ बजे नाश्ता करता है, 12 बजे लंच करता है व रात में दस बजे सो जाता है। जब हम प्रतिदिन इसी दिनचर्या का पालन करते हैं, तब बॉडी की बायो क्लॉक इसे स्वीकार कर लेती है। बायो क्लॉक को स्वीकार करने के बाद बॉडी इसी क्रम में रियक्ट करना प्रारम्भ कर देती है। इसी को मेडिकल की भाषा में बायोरिदम बोलते हैं। समस्या तब पैदा होती है, जब हम इस दिनचर्या को रोज बदलते हैं। खासकर सोने के समय में प्रतिदिन परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन के चलते बॉडी का बायोरिदम बिगड़ जाता है व नींद न आने की समस्या प्रारम्भ हो जाती है।
क्या है स्लीप एपनिया सिंड्रोम
डॉ। तरुण कुमार सहानी ने बताया कि बॉडी में मौजूद किसी विकार की वजह से जब नींद आना बंद हो जाती है उसे मेडिकल की भाषा में हम स्लीप एपनिया सिंड्रोम बोलते हैं। उन्होंने बताया कि कई मरीज हमारे पास आते हैं व उनकी पत्नी हमें बताती हैं कि रात में सोते सोते उनके पति आकस्मित उठ कर बैठ जाते हैं। थोड़ी देर सांस लेने के बाद वह फिर सो जाते हैं।इस तरह की समस्या स्लीप एपनिया सिंड्रोम का एक उदाहरण है। यह समस्या मूल रूप से मोटापे की वजह से होती है। बॉडी में मौजूद चर्बी के चलते कुछ लोगों की सांस लेने की नली में अवरोध आ जाता है, जिसके चलते उनकी नींद आकस्मित खुल जाती है। बैठते ही उनको दोबारा सांस मिलने लगती है व वह सामान्य हो जाते हैं।
अच्छी नींद के ये हैं उपाय
डॉ। साहनी ने बताया कि बेहतर नींद के लिए आप गोलियों की स्थान कुछ घरेलू तरीका कर सकते हैं। जिसमें पहला तरीका रात्रि के भोजन के बाद न ही कुर्सी पर बैठे व न ही करीब एक घंटे तक अपने बेड़ पर न जाएं। रात्रि के भोजन के तुरंत बाद कुद देर आप सैर करें। ऐसा करने में आपका भोजन सही स्थान पर पहुंच कर पचना प्रारम्भ हो जाएगा। जिन लोगों के पास सैर की स्थान नहीं है, वे लोग अपने घर में भोजन पाचन से जुड़े योग भी कर सकते हैं। इसके बाद, बचे हुए समय का इस्तेमाल किताबों को पढ़ने व संगीत सुनने में कर सकते हैं। सोने से करीब आधे घंटे पहले टीवी बंद कर दें। बेड रूम में ब्राइट लाइट की स्थान हल्की लाइट का इस्तेमाल करें। जिससे आपका दिमाग शांत होगा व निश्चित रूप आपको बेहतर नींद आएगी।