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बहुत वक्त तक महसूस की जाएगी देवरिया कांड की तपिश, विरोधियों को मिला बड़ा मुद्दा

लखनऊ। देवरिया कांड ने यूपी भर में भूचाल खड़ा कर दिया है. इस कांड की तपिश बहुत वक्त तक महसूस की जाएगी. जहां एक ओर सरकार एक्शन में आ गई है वहीं सपा, कांग्रेस और बीएसपी ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.

इस बीच, प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आनंद कुमार ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच की जाएगी. संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों का मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा. पाक्सो कोर्ट के सामने उनके बयान दर्ज कराए जाएंगे.

विपक्षी दलों का सरकार पर निशाना

सपा और कांग्रेस ने वारदात की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह ने इस घटना को लेकर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की बेटियां डर-डर के जीने को मजबूर हैं.

कांग्रेस नेता अशोक सिंह ने भी घटना की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि नारी के सम्मान की बात करके सत्ता में आयी भाजपा के शासन में ऐसी वारदात बेहद शर्मनाक हैं. बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि बिहार में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की तरह ही उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नारी संरक्षण गृह में महिलाओं के साथ जबर्दस्ती देह व्यापार का घिनौना काण्ड यह साबित करता है कि भाजपा की सरकारों के शासन में कितनी ज़्यादा अराजकता है और महिलाएं किस कदर असुरक्षित और दुर्दशाग्रस्त हैं. यह पूरे देश के लिये गहरी चिंता और शर्म की बात है.

डीएम सुजीत कुमार को हटाया गया

प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर देवरिया के जिलाधिकारी सुजीत कुमार को हटा दिया गया है. वह एक वर्ष से वहां जिलाधिकारी के रूप में तैनात थे. उन्हें उस संरक्षण गृह को बंद करने के लिये कई बार पत्र लिखे गये लेकिन उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. जांच रिपोर्ट आने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.

उन्होंने बताया कि संरक्षण गृह को बंद करने का आदेश दिये जाने से छह महीने बाद तक देवरिया के डीपीओ रहे अभिषेक पाण्डेय को निलम्बित कर दिया गया है. उनके बाद दो अधिकारियों नीरज कुमार और अनूप सिंह को उनके विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. इन दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार और अपर पुलिस महानिदेशक (महिला हेल्पलाइन) अंजू गुप्ता को हेलीकॉप्टर से मौके पर भेजा है. वे संरक्षण गृह से मुक्त करायी गयी सभी बच्चियों से अलग-अलग बात करके कल तक रिपोर्ट देंगी.

रीता ने माना कि इस मामले में स्थानीय प्रशासनिक स्तर पर ढिलाई जरूर हुई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में सत्ता में आने के बाद उनके विभाग ने उसी साल इस संरक्षण गृह की मान्यता समाप्ति के आधार पर उसे बंद करने का आदेश दिया था. विभाग ने पिछले दिनों इस मामले में एक मुकदमा भी दर्ज कराया था.

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