चेन्नई। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एम. करुणानिधि का मंगलवार शाम 94 साल की उम्र में निधन हो गया. करुणानिधि के निधन के साथ ही तमिलनाडु समेत पूरे देश में शोक की लहर है. राज्य में एक दिन का अवकाश और सात दिन का शोक घोषित किया गया है. करुणानिधि के निधन की खबर आते ही डीएमके समर्थक सड़कों पर रोते और बिलखते नजर आए. इस दौरान अंतिम दर्शन के लिए चेन्नई पहुंचे समर्थक बेकाबू भी हो गए, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
करुणानिधि के निधन के बाद उनको दफनाने को लेकर भी विवाद हुआ. करुणानिधि की पार्टी और उनके समर्थकों ने मांग की है कि उन्हें चेन्नई के मशहूर मरीना बीच पर दफनाया जाए और उनका समाधि स्थल भी बने. लेकिन तमिलनाडु सरकार ने ऐसा करने से इनकार किया है. इसी को लेकर आज सुबह मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिवंगत द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) नेता व तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि पार्थिव शरीर को मरीना बीच पर दफनाए जाने की अनुमति दे दी.
DMK के वकील के मुताबिक, हाईकोर्ट ने करुणानिधि का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर करने की अनुमति दे दी है. इसके अलावा कोर्ट ने आदेश दिया है कि तमिलनाडु सरकार उनका मेमोरियल भी बनाए.
सुनवाई में क्या हुआ…?
कोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने डीएमके की मांग के खिलाफ हलफनामा दिया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि हमने दो एकड़ जमीन और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का वादा किया है.
मद्रास हाईकोर्ट में पिछले साल डाली गई सभी 6 याचिकाओं को खारिज किया गया है. इन याचिकाओं में मरीना बीच पर किसी भी तरह के समाधि स्थल बनाने का विरोध किया गया था. एक्टिविस्ट ट्रैफिक रामास्वामी ने कहा है कि अगर करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाया जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
तमिलनाडु सरकार ने मरीना बीच पर जमीन देने से किया इनकार
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि जब करुणानिधि मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जानकी रामाचंद्रन को भी मरीना बीच पर जगह नहीं दी थी. डीएमके सरकार के द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ का विरोध नहीं कर सकती है. आपको बता दें कि जानकी रामाचंद्रन 7 जनवरी 1988 से 30 जनवरी 1988 तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रही थीं.
तमिलनाडु सरकार की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि पेरियार द्रविड़ आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे, लेकिन क्या उन्हें मरीना बीच पर दफनाया गया?
DMK की ओर से कहा गया कि तमिलनाडु की जनसंख्या 7 करोड़ है और 1 करोड़ डीएमके फॉलोवर्स हैं. अगर करुणानिधि को मरीना बीच पर नहीं दफनाया गया तो सभी समर्थक नाराज होंगे. उन्होंने कहा कि करुणानिधि, अन्ना के करीबी थे. वह उन्हें अपनी जिंदगी मानते थे. अगर ऐसे में हम उन्हें गांधी मंडपम में दफनाएंगे तो ये ठीक नहीं होगा.
सुनवाई के दौरान जस्टिस एस.एस. सुंदर ने कहा कि इस बारे में करुणानिधि के परिवार ने हाईकोर्ट में अपील नहीं की है.
BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बीच कहा कि किसी नेता के कद के अनुसार मरीना बीच पर अंतिम संस्कार तय नहीं हो सकता. पहले भी ऐसे कई नेता हैं, जिनका अंतिम संस्कार या मेमोरियल वहां नहीं है.
करुणानिधि के पार्थिव शरीर को मरीना बीच पर दफनाने को लेकर कई नेताओं ने भी मांग का समर्थन किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्ष के नेता ऐसी मांग कर रहे हैं.
करुणानिधि को मरीना बीच में दफनाए जाने का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ‘जयललिता की तरह करुणानिधि भी तमिल लोगों की आवाज थे. लिहाजा उनको मरीना बीच में दफनाने की जगह दी जानी चाहिए. मुझे विश्वास है कि तमिलनाडु के मौजूदा नेता इस दुख की घड़ी में उदारता दिखाएंगे.’
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी करुणानिधि को मरीना बीच में दफनाने के लिए जगह देने से इनकार किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि कलैगनार को मरीना बीच में दफनाने के लिए जगह देने से मना करना दुर्भाग्यपूर्ण है. वो इसके हकदार हैं कि उनको तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री अन्ना दुरै के बगल में दफनाया जाए.
सुपरस्टार और राजनेता रजनीकांत ने तमिलनाडु सरकार से करुणानिधि के लिए मरीना में जमीन देने की अपील की. उन्होंने कहा कि यही उनके लिए उचित श्रद्धांजलि होगी.
लंबे समय से बीमार थे करुणानिधि
करुणानिधि 29 जुलाई से चेन्नई के कावेरी अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती थे. अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि करुणानिधि की उम्र के हिसाब से उनके शरीर के सभी ऑरगन्स काम करना बंद कर दिए थे. बता दें कि पांच बार मुख्यमंत्री रहे करुणानिधि को देखने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा अस्पताल का दौरा कर चुके हैं.
इसी साल तीन जून को करुणानिधि ने अपना 94वां जन्मदिन मनाया. ठीक 50 साल पहले 26 जुलाई को ही उन्होंने डीएमके की कमान अपने हाथ में ली थी. लंबे समय तक करुणानिधि के नाम हर चुनाव में अपनी सीट न हारने का रिकॉर्ड भी रहा.
वो पांच बार मुख्यमंत्री और 12 बार विधानसभा सदस्य रहे हैं. अभी तक वह जिस भी सीट पर चुनाव लड़े हैं, उन्होंने हमेशा जीत दर्ज की है. करुणानिधि ने 1969 में पहली बार राज्य के सीएम का पद संभाला था, इसके बाद 2006 में आखिरी बार मुख्यमंत्री बने थे.