नई दिल्ली। भगोड़े आर्थिक अपराधी विधेयक अब कानून बन गया है. इस कानून के बनने से अब नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधी भारत में कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए देश से भाग नहीं पाएंगे. लेकिन सरकार इसे और सख्त बनाने पर विचार कर रही है. वह चाहती है कि 50 करोड़ या इससे ऊपर के लोन के डिफॉल्टर को बिना मंजूरी विदेश जाने न दिया जाए. यानि ऐसे विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर फ्रॉड करने वाले) पर शिकंजा और कसेगा. वे बिना अनुमति के विदेश नहीं जा पाएंगे. इसके लिए सरकार पासपोर्ट एक्ट के सेक्शन 10 में संशोधन कर सकती है. इस विचार पर मंथन के लिए सरकार ने वित्तीय सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. उस समिति ने ही यह सिफारिश की है.
पासपोर्ट एक्ट में बदलाव का दिया गया है सुझाव
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने पासपोर्ट एक्ट में संशोधन का सुझाव दिया है. इसके तहत तय सीमा से अधिक लोन के विलफुल डिफॉल्टर को आर्थिक जोखिम माना जाएगा. कर्ज की सीमा 50 करोड़ रुपए रखी जा सकती है.
भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को मिल चुकी है राष्ट्रपति की मंजूरी
वैसे अभी जिस कानून को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंजूरी दी है, उसके मुताबिक भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति है जिसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के चुनिंदा आर्थिक अपराधों में शामिल होने की वजह से गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया गया हो और वह आपराधिक अभियोजन से बचने को देश से बाहर चला गया हो. एक आधिकारिक आदेश के अनुसार भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. इस नए कानून से विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे, बड़े आर्थिक अपराधों में शामिल लोगों को देश से भागने और कानून से बचने से रोका जा सकेगा. माल्या और मोदीकी आर्थिक अपराधों में तलाश है. दोनों ही देश छोड़कर जा चुके हैं. दोनों के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है.
भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का होगा अधिकार
भगोड़े आर्थिक अपराधी के कानून के तहत प्राधिकृत विशेष अदालत को किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी बेनामी तथा अन्य संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होगा. यह कानून कहता है, ‘जब्ती आदेश की तारीख से जब्त की गई सभी संपत्तियों का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा.’ भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 राज्यसभा में 25 जुलाई को पारित हुआ था. लोककसभा ने इस विधेयक को 19 जुलाई को मंजूरी दी थी. इस कानून के तहत न्यूनतम 100 करोड़ रुपये की सीमा को उचित ठहराते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में संसद में कहा था कि इसके पीछे मकसद बड़े अपराधियों को पकड़ना है. अदालतों में मामले बढ़ाना नहीं. उन्होंने कहा था कि कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय जांच एजेंसी का काम करेगा.