नई दिल्ली/पुणे। भारत में गर्भाशय ट्रांसप्लांट से पहला बच्चा पैदा हुआ है. बता दें इंडिया की मेडिकल हिस्ट्री में यह पहला मौका है जब किसी ऐसी महिला ने बच्चे को जन्म दिया है जो कि बिना यूट्रस के पैदा हुई थी. हालांकि इससे पहले स्वीडन और अमेरिका जैसे देश ऐसा कारनामा कर चुके हैं, लेकिन भारत सहित एशिया में यह पहली बार है जब गर्भाशय ट्रांसप्लांट के जरिए किसी महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. गैलेक्सी केयर लेप्रोकोपी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. शैलेष पुनतांबेकर ने इसकी पुष्टी की है. बता दें डॉ. शैलेश पुनतांबेकर के नेतृत्व में 12 डॉक्टर्स की टीम ने 8 घंटे में लेप्रोस्कोपिक टेक्निक की मदद से यह सर्जरी की है.
गर्भाशय ट्रांसप्लांट में लगा 4 घंटे का समय
डॉ. पुनतांबेकर ने गर्भाशय ट्रांसप्लांट की पुष्टी करते हुए बताया कि “एक महिला को उसकी ही मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया है. दरअसल, महिला के जन्म से ही यूट्रस नही था, लेकिन वह खुद का बच्चा चाहती थी. ऐसे में महिला की मां ने अपनी बेटी को अपना यूट्रस डोनेट कर दिया.” डॉ. पुनतांबेकर ने आगे बताया कि मां से गर्भाशय को अलग करने में करीब 4 घंटे का समय लगा. जिसके बाद मां का गर्भाशय उसकी बेटी को ट्रांसप्लांट किया गया. मां और बेटी दोनों ही सुरक्षित हैं.
This lady was born without uterus & her mother’s uterus has been transplanted into her. The uterus has not delivered for 20 years. This will be 1st delivery from a transplanted uterus in Asia & 9th in the world: Dr Shailesh Puntambekar, Director of Galaxy Care Hospital, Pune pic.twitter.com/dkelNasQmi
— ANI (@ANI) August 8, 2018
पहली बार स्वीडन में हुआ था सफल यूट्रस ट्रांसप्लांट
– डॉ. पुनतांबेकर के अनुसार, यूट्रस ट्रांसप्लांट उन सभी महिलाओं के लिए वरदान है जो कि इस तरह की समस्या से जूझ रही हैं या फिर बच्चे को जन्म दे पाने में असमर्थ हैं. बता दें गर्भ प्रत्यारोपण के प्रयास पहले भी किये जा चुके हैं, लेकिन सबसे पहले स्वीडन के डॉक्टर्स को यह सफलता हाथ लगी.
– स्वीडन के डॉक्टर्स ने वर्ष 2012 में यह कारनामा कर दिखाया था. स्वीडन के डॉक्टर्स ने एक 36 साल की एक ऐसी महिला को मां बनने की खुशी दी थी जिसका गर्भाशय नहीं था. हालांकि, इससे पहले कई बार गर्भ प्रत्यारोपण की कोशिशें की जा चुकी हैं, लेकिन किसी न किसी कारण से यह सफल नहीं हो पाईं.