दयानंद पांडेय
मुथुवेल करुणानिधि के जाने से एक जहरीली , जातिवादी और भ्रष्ट राजनीति का अंत हुआ है । महायोद्धा नहीं , नायक नहीं , कायर और खलनायक थे मुथुवेल करुणानिधि । भारतीय राजनीति में जातीय और भाषाई राजनीति के जहर को फ़ैलाने के लिए हम जानते हैं मुथुवेल करुणानिधि को । ब्लैकमेलिंग , हिंसा , नफ़रत और लालच की राजनीति करने के लिए भी । कभी मुफ्त का भोजन , कभी रंगीन टी वी , कभी मंगल सूत्र , कभी यह , कभी वह का लालच और झांसा दे कर वोट के लिए रिश्वत देने का पाप मुथुवेल करुणानिधि ने ही शुरु किया।
इतना कि भारतीय राजनीति को राजनीति नहीं , फ़िल्मी पटकथा बना दिया । हिप्पोक्रेट बना दिया । इसी प्रतिस्पर्धा में जयललिता भी कूद पड़ीं । दक्षिण में हिंदी विरोध का जहर भी ख़ूब फैलाया । जयललिता हिंदी फिल्मों में भी हिरोइन रही हैं , अच्छी हिंदी जानती थीं । लेकिन करूणानिधि के भाषाई जहर में डूब कर हिंदी नहीं बोलती थीं ।
यह लालू , यह मुलायम , यह मायावती , यह अखिलेश तो बहुत बाद में जातीय और जहरीली राजनीति की खेती में लगे । पिछड़ी और दलित राजनीति के नाम पर पिछड़ों को और पिछड़ा, दलितों को और दलित बना दिया। पांच बार मुख्यमंत्री रहे मुथुवेल करुणानिधि का विधानसभा क्षेत्र आज भी देश के सब से पिछड़े इलाकों में शुमार है।
धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन चुके मुथुवेल करुणानिधि जैसे जहरीले और जातिवादी नेताओं ने भारतीय वोटर को सम्मान के साथ , रीढ़ के साथ कभी खड़ा नहीं होने दिया। वोटर को लालची और जातीय बना कर ख़ुद भगवान बन गए यह लोग । भारतीय लोकतंत्र को खोखला और मरणासन्न बना दिया ख़ुद को भगवान बनाने के लिए । मुथुवेल करुणानिधि ने सत्ता भोगने के लिए न सत्य देखा , न शुचिता। सिर्फ जातीय जहर और पाखंड के नायक हैं मुथुवेल करुणानिधि और इन के जैसे लोग । आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए लोग । कई सारी औरतें रखने और ए राजा , दयानिधि मारन जैसे भ्रष्ट लोग पूरी बेशर्मी से पैदा किए । बेटी कनिमोझी तक को नष्ट , भ्रष्ट और बेटे स्टालिन तक को अराजक और भ्रष्ट बना दिया मुथुवेल करुणानिधि ने । ख़ुद भी भ्रष्ट , अराजक और औरतबाज थे मुथुवेल करुणानिधि ।