उज्जैन। मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में बारिश के दिनों में मुर्दों को भी दफन होने से पहले इंतजार करना पड़ता है. उज्जैन में बारिश के कारण जल जमाव के ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि कई इलाकों में लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं. उज्जैन में भले अभी तक 36 इंच बारिश नहीं हुई है, जोकि सामान्य बारिश का आंकड़ा है मगर हालत सुनकर आप दंग रह जाएंगे.
उज्जैन के कई इलाके ऐसे हैं जहां थोड़ी सी बारिश से भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. उज्जैन की तंग गलियों में जलजमाव की समस्या कोई नई नहीं है. 10 लाख की आबादी वाले उज्जैन में नगर निगम के पास जलजमाव से निपटने के लिए करोड़ों रुपए की राशि है. उज्जैन नगर निगम का बजट लगभग आठ सौ करोड़ रुपया है, इनमें से डेढ़ सौ करोड़ रुपए जलजमाव से निपटने के लिए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन हालात ठीक नहीं है.
उज्जैन के केडी गेट इलाके, खजूर वाली मस्जिद क्षेत्र, निकास चौराहा, जूना सोमवारिया, एटलस चौराहा सहित कई क्षेत्र है जहां जल जमाव के कारण स्थिति काफी खराब हो रही है. शुक्रवार को केडी गेट क्षेत्र में एक मैयत को 4 घंटे तक इसलिए रोका गया क्योंकि बारिश का पानी पूरे इलाके में घुटने तक भरा हुआ था. इस पूरे मामले को लेकर इलाके के लोगों में काफी आक्रोश है. लोग हर बार शिकवा और शिकायत करते हैं लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता है.
इस मामले में नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने कहा, ”उज्जैन में जलजमाव से निपटने के लिए नगर निगम सभी प्रयास कर रहा है. अभी ड्रेनेज की समस्या हल करने के लिए डीपीआर भी बनाई जा रही है.” नेता प्रतिपक्ष नगर निगम राजेंद्र वशिष्ठ के मुताबिक उज्जैन में हर साल यह समस्या खड़ी होती है. सफाई व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से ऐसे हालात बने हैं. नगर निगम का बजट 800 करोड़ का है और जलजमाव से निपटने के लिए डेढ़ सौ करोड़ खर्च किए जा रहे हैं. मगर हालात सबके सामने हैं.