मुंबई। कर्ज के बोझ से दबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों को जुलाई महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया है. कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले सप्ताह तक वेतन का भुगतान करने के लिए सभी प्रयास कर रही है.
अपने कर्मचारियों को भेजे संदेश में उसने कहा है कि वेतन भुगतान में देरी उसके नियंत्रण से बाहर की वजह से है. यह लगातार पांचवां महीना है जब राष्ट्रीय विमानन कंपनी द्वारा कर्मचारियों को वेतन देने में विलंब हुआ है. आमतौर पर कंपनी महीने की 30 या 31 तारीख को वेतन का भुगतान कर देती है. इससे पहले मार्च, अप्रैल, मई और जून में भी एयर इंडिया समय पर वेतन नहीं दे पाई थी. एयर इंडिया के स्थायी कर्मचारियों की संख्या 11,000 से अधिक है.
11,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने पर विचार
नागर विमानन मंत्रालय एयर इंडिया को 11,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज उपलब्ध कराने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ विचार विमर्श कर रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एयर इंडिया के निजीकरण में मिली विफलता के चलते मंत्रालय इस मामले में विचार कर रहा है. एयर इंडिया का वित्तीय संकट लगातार बना हुआ है. सूत्रों के अनुसार नागर विमानन मंत्रालय एयर इंडिया को राहत पैकेज देने पर विचार कर रहा है ताकि विमानन कंपनी को उसकी ऊंची लागत के कार्यशील पूंजी कर्ज से राहत मिल सके. अभी यह प्रस्ताव शुरुआती चरण में है.
इस संबंध में नागर विमानन सचिव आरएन चौबे को भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला है. वहीं एयर इंडिया प्रवक्ता ने कहा, “यह मामला नागर विमानन मंत्रालय के तहत आता है. हमें इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए.”
सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव हालांकि अभी शुरुआती स्तर पर है, लेकिन इसके तहत एयर इंडिया को 11,000 करोड़ रुपये का पैकेज उपलब्ध कराया जाएगा. एक सूत्र ने कहा, “एयर इंडिया के खाते को साफ सुथरा बनाने से एयरलाइन को निवेशकों के लिये आकर्षक बनाया जा सकेगा. सरकार जब कभी भी इसकी रणनीतिक बिक्री के लिए आगे आएगी तब यह निवेशकों के लिये आकर्षक होगी.”
2012 में यूपीए सरकार ने दिया था राहत पैकेज
एयर इंडिया को पिछली यूपीए सरकार ने 2012 में राहत पैकेज दिया था. उसी के बल पर यह अभी तक उड़ान भर रही है. मार्च 2017 की समाप्ति पर इस राष्ट्रीय विमानन कंपनी पर 48,000 करोड़ रुपये का ऋण बोझ था. पिछले महीने ही सरकार ने एयरलाइन में 980 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने संबंधी अनुपूरक अनुदान मांगों को संसद की मंजूरी के लिये पेश किया.