कराची। पहली बार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में तलाकशुदा या विधवा हिंदू महिलाओं को प्रांतीय विधानसभा द्वारा किए गए एक ऐतिहासिक संशोधन के तहत फिर से शादी करने की इजाजत दी गई है. मीडिया की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. इससे पहले, तलाकशुदा या विधवा हिंदू महिलाओं को दूसरी शादी की इजाजत नहीं थी. दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, सिंध हिंदू विवाह (संशोधन) विधेयक 2018 न सिर्फ पति-पत्नी को अलग होने का अधिकार देता है बल्कि पत्नी और बच्चों की वित्तीय सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता नंद कुमार ने इस विधेयक को पेश किया था और मार्च में इसे विधानसभा ने पारित किया था.
कानून के मुताबिक, ‘‘हिंदू विवाह, चाहे यह इस कानून के लागू होने के पहले हुआ हो या बाद में, के दोनों पक्ष अदालत में अर्जी दायर कर न्यायिक अलगाव का आदेश देने का अनुरोध कर सकते हैं.’’ इस कानून के तहत हिंदू समुदाय के सदस्यों में निर्धारित न्यूनतम आयु से कम उम्र में शादियों पर प्रतिबंध होगा. नंद कुमार ने कहा, ‘‘हिंदू समुदाय जबरन धर्मांतरणों और बहुत कम उम्र में लड़कियों की शादी का विरोध करता रहा है.
इस कानून ने हिंदू समुदाय में नाबालिगों की शादी पर पाबंदी लगा दी है.’’ कुमार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ भी एक विधेयक पेश किया है, लेकिन विधेयक सिंध विधानसभा सचिवालय में धूल फांक रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून में संशोधन का मकसद आज के जमाने के हिसाब से पुराने पड़ चुके रीति-रिवाजों से निजात पाना है.’’