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‘ब्रेन ड्रेन’ नहीं अब हो रहा ‘ब्रेन गेन’, 3-4 सालों में सैकड़ों वैज्ञानिक विदेश से लौटे: हर्षवर्धन

हैदराबाद। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि विदेश में काम कर रहे सैकड़ों वैज्ञानिक पिछले तीन-चार वर्षों में राजग सरकार के तहत बेहतर वैज्ञानिक पारितंत्र पाने के बाद वापस भारत लौटे हैं. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले लोग ‘ब्रेन ड्रेन’ के बारे में काफी बातें करते थे.’’ उन्होंने यहां उप्पल क्षेत्र में ‘सेंटर फार डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नास्टिक्स’ (सीडीएफडी) के नये परिसर का उद्घाटन करने के बाद कहा कि लोग अभी भी कुछ हद तक ‘ब्रेन ड्रेन’ की बात करते हैं लेकिन अब वे ‘ब्रेन गेन’ की अधिक बातें करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन-चार वर्षों में सैकड़ों वैज्ञानिक वापस लौटे हैं…क्योंकि उन्होंने देश में बेहतर माहौल और काम करने के लिए एक बेहतर वैज्ञानिक पारितंत्र पाया.’’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने बेहतर सुविधाएं, बेहतर अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, उपकरण पाए और एक ऐसी सरकार पाई जो उनके विचारों को लेकर ग्रहणशील है और जो आधुनिक प्रणाली शुरू करने की इच्छुक है.

‘डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक से जुड़ी तमाम चिंताओं को लेकर जवाब देगी सरकार’
इसके साथ ही केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि केंद्र डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विधेयक के संबंध में तमाम चिंताओं को लेकर जवाब देगा. डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 नौ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था. विधेयक पेश करने वाले केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने विधेयक को लेकर शुरुआत की थी और तब से तमाम स्तरों पर इसकी पड़ताल की गई है.

उन्होंने यहां के उप्पल इलाके में सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के नये परिसर का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब इस पर चर्चा होगी, हमें पूरा विश्वास है कि हम लोगों के हर सवाल, चिंता और आशंका को लेकर जवाब दे सकते हैं. यह एक सकारात्मक विधेयक है.’’

हर्षवर्धन ने कहा कि लंबे सफर के बाद यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और इसका मकसद फोरेंसिक गतिविधि, जांच एजेंसियों के काम को मजबूत करना है तथा यह भविष्य में एक बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद के अगले एक या दो सत्रों में सरकार इसे पारित कराने में सफल रहेगी.

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