नई दिल्ली। दलितों की नाराजगी दूर करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार SC/ST एक्ट को मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए संशोधन विधेयक लाई और उसे पास कराया. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में SC/ST कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन दिए जाने के पक्ष में सरकार खड़ी है. मोदी सरकार की दलितों पर खासी मेहरबानी से बीजेपी का मूल वोटबैंक (सवर्ण) बेचैन नजर आ रहा है.
अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने दलित समुदाय से जुड़े दो अहम फैसले लिए हैं. सरकार के इस कदम का मकसद चुनावी राजनीति में दलितों को साधने के मद्देनजर माना जा रहा है. दलितों से जुड़े दोनों मुद्दों पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम से सवर्ण समुदाय में अच्छी खासी नाराजगी है.
बलिया के बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ उतर आए हैं. इतना ही नहीं पार्टी कार्यकर्ता भी कहीं न कहीं आक्रोशित हैं. पार्टी के सवर्ण नेता खुलकर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन दबी जुबान से अपना दर्द बयां कर रहे हैं. आरएसएस की शाखाओं में भी इन दिनों इसे लेकर चर्चा जोरों पर है.
बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि एससीएसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही था जिसके तहत शिकायतकर्ता के आरोपों की जांच के बाद गिरफ्तारी का प्रावधान था. सुरेंद्र सिंह ने संसद के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सवर्णों को अपने अधिकार और सम्मान के लिए सड़कों पर आना चाहिए.
सुरेंद्र सिंह ने एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव के लिए सभी पार्टियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि क्या पार्टियों को 78 प्रतिशत लोगों के वोट की जरूरत नहीं है जो 22 प्रतिशत दलित वोट के लिए बहुसंख्यक लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में दलित वोट की लूट की होड़ मची है, लेकिन चाहे पूरा समाज जल जाए इससे किसी को फर्क नहीं पड़ रहा.
एक बीजेपी सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सवर्ण समुदाय ही नहीं ओबीसी में भी इसे लेकर गुस्सा है. हम लोग कश्मकश की हालत में हैं. सवर्ण समुदाय के बीच जवाब देते नहीं बन रहा है.
प्रतापगढ़ के रहने वाले बीजेपी कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वे 30 साल से पार्टी के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं. एससी/एसटी एक्ट मामले में सरकार ने जो कदम उठाया है, उससे धक्का लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में बेहतर फैसला दिया था. लेकिन मोदी सरकार ने कोर्ट के आदेश को तिलांजलि देकर दोबारा से लागू किया है. इससे सवर्ण समुदाय में बीजेपी के खिलाफ बेहद नाराजगी है.
राजेंद्र कहते हैं कि दलित समुदाय बीजेपी को वोट करे ये जरूरी नहीं है. इसके बाद भी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करके अपने गारंटी वोट को नाराज कर दिया है. 2019 में हम तो वोट डालने की नहीं जाएंगे. क्योंकि सपा, बसपा और बीजेपी में अब कोई फर्क नहीं रह गया है.
बीजेपी सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सवर्ण समुदाय ही नहीं ओबीसी में भी इसे लेकर गुस्सा है. हम लोग कश्मकश की हालत में हैं. सवर्ण समुदाय के बीच जवाब देते नहीं बन रहा है. क्षेत्र में हर जगह यही सवाल किए जा रहे हैं.
बीजेपी ही नहीं आरएसएस की लगने वाली शाखाओं में भी सरकार के इस कदम पर चर्चा हो रही है. पूर्वांचल के एक जिला प्रचारक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एससी/एसटी एक्ट पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम को लेकर सवाल किए जा रहे हैं. खासकर सवर्ण समुदाय के बीच सरकार के कदम से नाराजगी है.
दलित उत्पीड़न के जिस तरह से मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे में दलित उत्पीड़न मामले में एससी/एसटी एक्ट को कारगर तरीके से लगाया गया तो सीधा असर सवर्ण और ओबीसी समुदाय पर पड़ेगा. इसका सीधा असर राजनीति में देखने को मिलेगा.