दिल संबंधी विकार के इलाज में अब मैकेनिकल हार्ट काफी मददगार साबित होते दिख रहे हैं. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्डियो-थोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी के निदेशक डॉ. जेड. एस. मेहरवाल के अनुसार तनाव, खराब जीवनशैली, जंक फूड की बढ़ती खपत, मद्यपान और धूम्रपान के चलते देशभर में दिल के विकारों का बोझ लगातार बढ़ रहा है.
डॉ. मेहरवाल ने जारी एक बयान में कहा कि अक्सर शुरुआत में दिल संबंधी रोग पकड़ में नहीं आते, जिससे दिल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है और आगे चलकर यह हार्ट फेल का कारण बनता है. ऐसे में मरीज डोनर हार्ट के उपलब्ध होने तक प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा सूची में बने रहते हैं. लेकिन, खुशखबरी यह है कि हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए एलवीएडी (लेफ्ट वैंट्रिक्युलर एसिस्ट डिवाइस) एक वरदान साबित हो रही है.
उन्होंने कहा, ‘इस सर्जरी का लाभ उठा चुके एक 22 वर्षीय युवक रोहन मनराल का उदाहरण सामने है. उन्हें एक दुर्घटना का शिकार बने 25 वर्षीय एक व्यक्ति से डोनर हार्ट मिला था. दूसरा मामला 42 वर्षीय पंकज मित्तल का है जो 19 अगस्त, 2017 की शाम एकाएम अनरिस्पॉन्सिव हो गए थे और उनकी नब्ज बंद हो गई थी. उन्हें प्रत्यारोपण के लिए दिल नहीं मिल रहा था और उन्हें लैफ्ट वैंट्रिक्युलर एसिस्ट डिवाइस इंप्लांटेशन (मैकेनिकल हार्ट) लगाया गया.’
बयान के अनुसार, पंकज और रोहन की तरह ऐसे कई मरीज हैं, जिन्हें एडवांस हार्ट फेलियर थेरेपी की आवश्यकता है. पिछले कुछ दशकों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने हमें बेहतर मेडिकल हैल्थकेयर की सुविधा प्रदान की है. इस तरह हम कई मरीजों को हार्ट ट्रांसप्लांट या उसके बगैर ही बचा सकते हैं.