अनूप कुमार मिश्र
नई दिल्ली। याद करो कुर्बानी की 15वीं कड़ी में हम आपको वायु सेना के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की वीरगाथा बताने जा रहे हैं. फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों वायु सेना के एकलौते ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है. 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत के पीछे फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की अहम भूमिका है. इस युद्ध के दौरान, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने यदि समय पर पाकिस्तान के फाइटर्स प्लेन को मिट्टी में मिलाकर भारतीय सेना को मजबूत स्थिति में खड़ा कर दिया था. आइए जाने फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की पूरी वीरगाथा…
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1947 को लुधियाना के रूरका गांव में हुआ था. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों की शादी को अभी कुछ दिन ही बीते थे, तभी भारत और पाकिस्तान के बीच जंग का ऐलान हो गया था. युद्ध की खबर मिलते ही फ्लाइंग ऑफिसर सेखों घर में चल रहे जश्न को छोड़कर श्रीगनर स्थित अपनी एयर फील्ड के लिए रवाना हो गए थे. अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही जंग ने जोर पकड़ लिया था. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों अपने फ्लाइट लेफ्टिनेंट बीएस घुम्मन के साथ श्रीनगर एयर फील्ड पर अपने 18 नेट स्क्वाड्रन फाइटर प्लेन के साथ तैनात थे. 14 दिसंबर 1971 की सुबह पाकिस्तान से छह F-86 सेबर जेट फाइटर प्लेन भारत पर हवाई हमले का मंसूबा लेकर उड़ चुके थे.
पाकिस्तान फाइटर प्लेन को सबक सिखाने के लिए फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने भरी उड़ान
अब तक, फ्लाइंग ऑफिसर सेखों को पाकिस्तानी वायु सेना के नापाक मंसूबों का पता चल चुका था. लिहाजा, उन्होंने एयरपोर्ट पर मौजूद अपने साथ फ्लाइंग लेफ्टिनेंट बीएस घुम्मन के साथ हमले की रणनीति तैयार की और हवाई हमले के मंसूबों को नाकाम करने की तैयारियों में लग गए. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों और फ्लाइंग लेफ्टिनेंट उड़ान से संबंधी अपनी सभी तैयारियां पूरी कर चुके थे, लेकिन श्रीनगर एयरबेस पर धुंध होने की वजह से विमान को टेक-ऑफ नहीं कराया जा सकता था. सुबह करीब 8.02 बजे तक रन-वे से हल्की-हल्की धुंध छटना शुरू हो गई थी. अब, रन-वे पर इतनी रोशनी हो चुकी थी कि फाइटर प्लेन को टेक-ऑफ कराया जा सके. योजना के तहत फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन ने 18 नेट स्क्वाड्रन फाइटर प्लेन के साथ पहली उड़ान भरी.
फ्लाइंग ऑफीसर सेखों के रन-वे छोड़ते ही एयर बेस पर हुआ तेज धमाका
फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन के रवाना होते ही, फ्लाइंग ऑफीसर सेखों ने अपने विमान को रफ्तार दे दी. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों के विमान ने अभी रन-वे छोड़ा ही था, तभी एयर फील्ड में एक जोरदार धमाका हुआ. यह धमाका पाकिस्तानी फाइटर प्लेन द्वारा किए गए हमले का था. अब तक, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन पाकिस्तान के एक फाइटर प्लेन को खोजने में कामयाब रहे थे. वह लगातार दुश्मन फाइटर प्लेन का पीछा करने में लगे हुए थे. इसी बीच, फ्लाइंग ऑफिसर सेखों को पाकिस्तान के दो फाइटर प्लेन नजर आ गए. उन्होंने एक साथ दोनों फाइटर प्लेन से मोर्चा लेने का फैसला कर दिया. इस बीच, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन लगातार फ्लाइंग ऑफिसर सेखों से संपर्क करना चाह रहे थे, लेकिन उनसे संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा था.
किसी भी कीमत पर पाकिस्तानियों को जाने नहीं दूंगा…
अचानक, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन के विमान में फ्लाइंग ऑफिसर सेखों की आवाज गूंजी. उन्होंने फ्लाइट लेफ्टिनेंट घुम्मन को जानकारी दी कि ‘मै दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूं …किसी भी कीमत में मैं उन्हें जाने नहीं दूंगा…’ संदेश के बंद होते ही आसमान में एक तेज धमाका हुआ. इस धमाके से साथ आग से लिपटा पाकिस्तान का एक फाइटर प्लेन जमीन की तरफ गोते लगाता हुआ दिखाई दिया. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने अपने सटीक निशाने से इस फाइटर प्लेन को मार गिराया था. इस धमाके के बाद फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने एक बार फिर फ्लाइट लेफ्टिनेंट घुम्मन से संपर्क साधा. उन्होंने अपने संदेश में कहा कि ‘मैं मुकाबले पर हूं … मुझे बहुत मजा आ रहा है… मेरे इर्द गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट मंडरा रहे हैं…. मैं एक का पीछा कर रहा हूं और दूसरा मेरे साथ साथ चल रहा है…’ इस संदेश के साथ एक बार फिर दोनों भारतीय जांबाजों का संपर्क टूट गया.
3 पाक फाइटर प्लेन को नेस्तनाबूद कर वीरगति को प्राप्त हुए फ्लाइंग ऑफीसर सेखों
संपर्क टूटते ही आसमान में लगातार दो बडे धमाके हुए. यह धमाके पाकिस्तानी फाइटर प्लेन में हुए थे. फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने दुश्मन के दोनों फाइटर प्लेन को मार गिराया था. इस सफलता के बाद फ्लाइंग ऑफिसर सेखों ने अपना आखिरी संदेश प्रसारित किया. जिसमें उन्होंने कहा कि ‘शायद मेरा नेट भी निशाने में आ गया है…. घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो.’ इस संदेश के साथ फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों वीरगति को प्राप्त हो गए. उनके अद्भुत साहस, अकल्पनीय युद्ध कौशल और जांबाजी के लिए वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.