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देवरिया कांड: SIT चीफ की रिपोर्ट पर DGP कर सकते हैं 120 पुलिसवालों पर कार्रवाई

लखनऊ। देवरिया कांड में कोर्ट के कोप से बचने के लिए अभी कई और पुलिसवालों पर कार्रवाई हो सकती है. इनमें से कुछ को निलंबित करने की भी तैयारी है. एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ये कार्रवाई हो सकती है. योगी सरकार ने एडीजी रैंक के अफसर संजय सिंघल की अगुवाई में तीन सदस्यों की एक टीम बनाई है.

ये टीम देवरिया का दो बार दौरा कर चुकी है. देवरिया के एसपी रोहन पी कनय को भी हटाया जा चुका है. इसके अलावा डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर रैंक तक के कुछ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर उनके ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

कनय से पहले देवरिया के एसपी रहे राकेश शंकर बस्ती के डीआईजी थे. उन्हें हटा कर डीजीपी ऑफ़िस से अटैच कर दिया गया है. 20 अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट में फिर से देवरिया बालिका संरक्षण गृह मामले की सुनवाई होनी है.

उससे पहले एसआईटी ने 16 और 17 अगस्त को देवरिया का दौरा किया. एसआईटी चीफ़ संजय सिंहल ने क़रीब डेढ़ सौ पुलिसवालों से पूछताछ की, उनके बयान लिए. टीम ने एसपी ऑफ़िस से लेकर बालिका संरक्षण गृह तक का निरीक्षण किया.

सूत्रों की मानें तो 120 पुलिसवालों की एक लिस्ट बनी है. जिनके ख़िलाफ़ तबादले से लेकर निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती है. इनमें एएसपी से लेकर सिपाही रैंक तक के पुलिसवाले हैं. उन पुलिसवालों कि लिस्ट बनी है जो महिला कल्याण विभाग के रोक के बावजूद संरक्षण गृह में लड़कियों और बच्चों को भेजते रहे.

इस बारे में डीएम रहे सुजीत कुमार कई बार जिले के एसपी को चिट्ठी लिख चुके थे. हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस से पूछा है कि आख़िर मना करने के बावजूद पुलिस अफ़सर संरक्षण गृह में बच्चियों को क्यों भेजते रहे ? इनके ख़िलाफ़ क्या एक्शन हुआ है ?

देवरिया में 18 पुलिस थाने हैं. एसआईटी की जांच में पता चला है कि अधिकतर थानेदार सब कुछ जानते हुए भी लड़कियों को गिरिजा त्रिपाठी के संरक्षण गृह में भेजते रहे. एसआईटी के चीफ़ संजय सिंघल शनिवार को अपनी शुरूआती जांच के बारे में डीजीपी ओपी सिंह को बतायेंगे.

इसके बाद ही पुलिसवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर फ़ैसला हो सकता है. सुजीत कुमार को हटा कर अमित किशोर को देवरिया का नया डीएम बना दिया गया है. गिरिजा त्रिपाठी मां विंध्यवासिनी सेवा समिति के नाम से एक संस्था चलाती हैं.

इसी संस्था का देवरिया में बालिका संरक्षण गृह है. यहां से भाग कर एक लड़की महिला पुलिस थाने पहुँची थी. उसने आरोप लगाया था कि लड़कियों को देर रात बड़ी बड़ी गाड़ियों में बाहर भेजा जाता था. जब वे अगले दिन सवेरे लौटती थीं तो रोती हुई आती थीं.

गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति, बेटा और उनकी दोनों बेटियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है लेकिन पुलिस की शुरूआती जांच में अब तक किसी लड़की के यौन शोषण की पुष्टि नहीं हो पाई है. लड़कियों को विदेश बेचे जाने की बात भी झूठी साबित हुई है.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की है लेकिन अब तक सीबीआई ने केस नहीं लिया है. गिरिजा त्रिपाठी के बालिका संरक्षण गृह में लड़कियों को भेजने पर पिछले साल के मई महीने में ही रोक लग गई थी. पालना गृह योजना में गड़बड़ी के आरोप सही पाए जाने पर महिला और बाल कल्याण विभाग ने ये फ़ैसला किया था लेकिन अपने रुतबे की बदौलत गिरिजा बालिका संरक्षण गृह चलाती रही.

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