अमेरिका ने चीन पर प्रौद्योगिकी चोरी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को 16 अरब डॉलर की अन्य चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाया. दोनों पक्षों ने दूसरे दौर में ये शुल्क लगाए हैं. ये शुल्क ऐसे समय लगाए गए हैं जब दोनों देशों के अधिकारी व्यापार विवादको समाधान को लेकर वॉशिंगटन में बातचीत कर रहे हैं.
चीन के उप-वाणिज्य मंत्री वांग शोवेन ने व्यापार विवाद के समाधान को लेकर अमेरिका के उप-वित्त मंत्री डेविड मालपास के साथ बैठक की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चीन को तत्काल व्यापार घाटे में 100 अरब डॉलर की कमी लानी चाहिए, उसके बाद और अमेरिकी वस्तुओं के प्रवेश को आसान बनाकर 200 अरब डॉलर की कमी लाई जाए. साथ ही अमेरिकी प्रौद्योगिकी के बौद्धिक संपदा अधिकार सुनिश्चित करे.
उन्होंने यह भी कहा कि चीन अमेरिकी शुल्क से निपटने के लिए अपनी मुद्रा में गड़बड़ी कर रहा है. दोनों देशों के बीच 636 अरब डॉलर का व्यापार होता है, इसमें चीन 375 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष की स्थिति में है. हालांकि चीन उसी हिसाब से जवाब दे रहा है जैसा कि अमेरिका ने किया है लेकिन उसके अधिकारियों का कहना है कि उनकी सरकार बेमन से यह कदम उठा रही है.
इस बीच, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी कदम स्पष्ट रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) नियमों का उल्लंघन है, उसने कहा कि वह डब्ल्यूटीओ की विवाद समाधान प्रणाली के तहत मुकदमा करेगा. चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध जुलाई में शुरू हुआ. उस समय दोनों देशों ने 34-34 अरब डॉलर के निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया.
अमेरिका के ताजा 25 प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ चीन के 50 अरब डॉलर मूल्य के सामान पर अमेरिका का आयात शुल्क लगाने का पहला दौर पूरा हो चुका है जिसकी घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी, इससे पहले, छह जुलाई को 34 अरब डॉलर की वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाया गया था. पर्यवेक्षकों ने दोनों देशों के बीच जारी बातचीत का कोई सार्थक नतीजे को लेकर संदेह जताया है. हांगकांग के साउथ चाइना मार्निंग की रिपोर्ट के अनुसार उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है.