नई दिल्ली। देहरादून के पास यमुना पर बहुउद्देश्यीय लखवाड़ परियोजना के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. इस परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, 33,780 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की व्यवस्था होगी और 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा.
इन राज्यों की पानी की समस्या होगी दूर
समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने संवाददाताओं से कहा कि लखवाड़ परियोजना छह राज्यों के बीच शुरू हो रही है और पानी के संदर्भ में इन राज्यों के लिये यह काफी उपयोगी है. जब जनवरी से मई महीने में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पानी की कमी की समस्या रहती है, ऐसे समय में इस परियोजना से पानी की दिक्कत को दूर करने में मदद मिलेगी.
2025 तक खत्म हो जाएगी दिल्ली की पानी की समस्या
उन्होंने कहा कि इससे यमुना की भंडारण क्षमता में 65 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है. उत्तराखंड जब बिजली तैयार करेगा, उस समय उसका पानी यमुना में आयेगा. इससे 2025 साल तक दिल्ली में पानी की समस्या नहीं रहेगी. राजस्थान और हरियाणा के जो शहर यमुना नदी के किनारे पर हैं, वहां भी पानी की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी. उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा जैसे शहरों में पानी की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी.
1976 में मिली थी परियोजना का मंजूरी
गडकरी ने कहा कि इस परियोजना को 1976 में मंजूरी मिली थी और 30 प्रतिशत काम भी हुआ था लेकिन इसके बाद आगे नहीं बढ़ सका. उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच सहमति नहीं बनने के कारण अनेक परियोजनाओं को मंजूरी मिलने के बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है. इसके कारण 20 साल, 25 साल तक पानी से वंचित रहना पड़ा है. ऐसे में राज्यों के बीच सहमति बने, ऐसा प्रयास हो.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिमालय बेसिन में पानी की कमी नहीं है, बल्कि पानी के नियोजन का अभाव है. उन्होंने कहा कि उनका जोर गंगा सहित उसकी सहायक नदियों में साफ सफाई को आगे बढ़ाने का है और इसमें यमुना महत्वपूर्ण है. यमुना को लेकर दिल्ली में 12 परियोजनाओं पर काम चल रहा है.
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण गडकरी ने ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
उत्तराखण्ड में बनाया जाएगा बांध
लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कांक्रीट का बांध बनाया जाना है. बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी. इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी. इसके अलावा इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा. परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. परियोजना निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा.
3966.51 करोड़ रुपये की लागत से होगा बिजली का उत्पादन
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी. परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा भी उत्तराखंड को ही मिलेगा. परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा.
कौन सा राज्य देगा कितना योगदान
इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे. लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा. लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यूवाईआरबी के जरिए किया जाएगा.
लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किसाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है. किसाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कांक्रीट का बांध बनाया जाएगा. वहीं रेणुकाजी परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा.