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स्टालिन बने DMK के ‘थलाइवा’, पहले ही चुनाव में मिली थी हार, जानें उनसे जुड़ी 6 बातें

नई दिल्ली । एम करुणानिधि के 7 अगस्त को हुए निधन के बाद से ये तय था कि सीटों के लिहाज से सबसे बड़े दक्षिण के राज्य की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी की कमान एमके स्टालिन को ही मिलेगी. करुणानिधि ने अपने जीवित रहते हुए ही ये तय कर दिया था कि उनके बाद डीएमके की कमान उनके बड़े बेटे अलागिरी की बजाए स्टालिन संभालें. अब मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष होंगे. करुणानिधि ने 50 साल तक डीएमके की कमान संभाली. वह देश में किसी भी पार्टी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता रहे. उन्होंने अन्नादुरई के बाद पार्टी की कमान संभाली थी.

अब 65 साल की उम्र में एमके स्टालिन पार्टी के अध्यक्ष बने हैं. 1 मार्च 1953 को जन्मे एमके स्टालिन को नाम भी उनके पिता करुणानिधि ने जोसेफ स्टालिन से प्रभावित होकर दिया. वह करुणानिधि की दूसरी पत्नी दयालु अम्माल के छोटे बेटे हैं. पूरी पढ़ाई चेन्नई से हुई.

1. पिता की तरह 14 साल की उम्र में शुरू की थी राजनीति
पिता की ही तरह स्टालिन ने अपनी राजनीति 14 साल की उम्र में शुरू कर दी. वह सबसे ज्यादा उस समय चर्चा में आए, जब इमरजेंसी में मीसा के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई. 1967 में उन्होंने पहली बार चुनावी जिम्मेदारी संभाली और कैंपेन किया. 1973 में स्टालिन डीएमके की जनरल कमेटी में चुने गए.

2. पहला चुनाव लड़े और हार गए
तमिलनाडु की राजनीति कितनी कठिन है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाइए कि करुणानिधि के बेटे होने के बावजूद एमके स्टालिन अपना पहला चुनाव हार गए. 1984 में उनकी पार्टी ने पहली बार ‘थाउसेंड लाइट’ नाम की विधानसभा से चुनाव लड़ा. लेकिन एआईएडीएमके उम्मीदवार केए कृष्णास्वामी ने उन्हें हरा दिया. 1989 में वह दूसरी बार फिर इसी सीट से खड़े हुए और जीते. लेकिन 1991 में फिर से चुनाव हार गए. लेकिन उसके बाद हुए चुनावों से वह लगातार जीतते आ रहे हैं.

3. स्टालिन चेन्नई के मेयर भी रहे…
1996 में जब पहली बार चेन्नई के लिए सीधे मेयर चुनने के लिए चुनाव हुआ तो एमके स्टालिन जीते. वह 2001 में फिर से चेन्नई के मेयर बने. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने नियम बदल दिया. इसके अनुसार, कोई व्यक्ति दो पद एक साथ नहीं रख सकता. उस समय स्टालिन मेयर के साथ साथ विधायक थे.

4. 2006 में पहली बार बने मंत्री
स्टालिन को 2006 में पहली बार मंत्री बनाया गया. गिरते स्वास्थ्य के कारण करुणानिधि ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुन लिया था. इसलिए 2009 में उन्हें तमिलनाडु का उपमुख्यमंत्री बना दिया गया. हालांकि 2011 में हुए चुनाव में उनकी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा.

5. सबसे उम्रदराज डीएमके अध्यक्ष होंगे स्टालिन
एमके स्टालिन डीएमके के सबसे उम्रदराज अध्यक्ष होंगे. पेरियार से अलग होने के बाद अन्नादुरई ने 1949 में डीएमके की स्थापना की. जब वह पार्टी के सर्वेसर्वा बने, तब उनकी उम्र 40 साल थी. 1969 में उनकी मौत के बाद पार्टी के मुखिया एम करुणानिधि बने. 27 जुलाई 1969 को करुणानिधि अध्यक्ष बने. तब उनकी उम्र 45 साल थी. वह 50 साल तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहे. अब 65 साल की उम्र में स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष होंगे.

6.भाई अलागिरी हैं सबसे बड़ा रोड़ा
स्टालिन की आगे की राह आसान नहीं रहने वाली. उनकी राह में उनके सामने उनके बड़े भाई अलागिरी खड़े हैं. अलागिरी ने विद्रोह का बिगुल करुणानिधि की मौत के बाद ही बजा दिया था. मदुरै में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले अलागिरी का कहना है कि राज्य के 1 लाख से ज्यादा समर्थक उनकी तरफ हैं.

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