नई दिल्ली। भारत अगले साल यानी 2019 में जनवरी में अपना महत्वाकांक्षी अभियान चंद्रयान-2 लॉन्च कर सकता है. योजना के अनुसार भारत चंद्रयान 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचाएगा. ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा.
In January 2019, we will have a major mission Chandrayan 2 by GSLV-Mk-III-M1. We have taken a review by experts throughout the country. They appreciated our efforts saying this is the most complex mission ISRO has ever taken: ISRO Chairman K Sivan pic.twitter.com/Vo32aPudgS
— ANI (@ANI) August 28, 2018
इसरो के चेयरमैन ने दी जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के सिवन ने मंगलवार को इस अभियान की जानकारी देते हुए बताया ‘जनवरी 2019 में हम अपने बड़े अभियान चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3-एम1 से लॉन्च करेंगे.’ इसरो चेयरमैन ने कहा ‘हमने इस अभियान के लिए पूरे देश के विशेषज्ञों से समीक्षा करवाई और उनके विचार जाने. उन सभी ने हमारे कार्य की सराहना की और कहा कि यह इसरो के लिए अब तक का सबसे जटिल अभियान है.’
Mass of Chandrayan 2 has increased to 3.8 ton which can’t be launched by GSLV.We have redefined launch vehicle to GSLV-Mk-III.Window for launch is 03Jan-16Feb. It would be the first mission in world going near South Pole,i.e. 72 degree South is landing site: ISRO Chairman K Sivan pic.twitter.com/63Y8vkjVEl
— ANI (@ANI) August 28, 2018
चंद्रयान-2 का बढ़ गया वजन
इसरो के चेयरमैन ने कहा कि चंद्रयान-2 का वजन बढ़कर 3.8 टन हो गया है. इसे पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) से लांच किया जाना था, लेकिन अब इसे इससे लांच करना मुमकिन नहीं है. अब हम जीएसएलवी एमके-3 को इसके लिए तैयार कर रहे हैं. लांच का विंडो तीन जनवरी से 16 फरवरी तक रहेगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि शायद यह ऐसा पहला मिशन होगा जिसके तहत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भी पहुंचा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव से 72 डिग्री दक्षिण में चंद्रयान-2 लैंड करेगा.
पहला देश बनेगा भारत
अभी तक अमेरिका समेत अन्य देशों ने कई अंतरिक्ष अभियान चांद के दक्षिणी ध्रुव के लिए लांच किए हैं. लेकिन यह सभी ऑर्बिटर थे. मतलब चांद की कक्षा में ही परिक्रमा करके इन्होंने वहां की तस्वीरें ली थीं. लेकिन कोई भी चांद के इस हिस्से पर लैंड नहीं हुआ. अगर भारत का चंद्रयान-2 लैैंड करकेे वहां तक पहुंचने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला पहला देश होगा.
अभियान में तब्दीली कर रहा इसरो
बता दें कि इससे पहले इसी महीने कहा गया था कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 में तब्दीली करने की तैयारी कर रहा है. पहले इसरो चंद्रयान-2 अभियान के तहत चांद पर एक शोध यान उतारने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब इस अभियान के तहत इसरो इस शोध यान को चांद पर उतारने से पहले उसे उसकी कक्षा में उसे स्थापित करेगा. संगठन इसके जरिये उस शोध यान की बैटरी समेत अन्य तकनीकी प्रणालियों का परीक्षण करेगा.
वायुमंडल को समझने की कोशिश
पहले इसरो के चंद्रयान-2 अभियान के तहत शोध यान को ऑर्बिटर से अलग होने के बाद सीधे चांद की सतह पर उतरना था. इसके बाद वहां की जमीन पर चलकर शोध करना था. लेकिन अब इस नई योजना के जरिये इस शोध यान को चांद पर उतारने से पहले उसकी अंडाकार कक्षा और वायुमंडल को समझने की भी कोशिश की जाएगी. इस शोध यान के जरिेये इसरो चांद के कई राज उजागर कर सकेगा.
खुद बना रहा है इसरो
चंद्रयान-2 अभियान के लिए इसरो ने पहले रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकोस्मोस से करार किया था. इसके तहत रॉसकोस्मोस को इसरो को लैंडर (चांद पर उतारा जाने वाला शोध यान) उपलब्ध कराना था. लेकिन बाद में इसरो ने इस अभियान को खुद ही आगे बढ़ाने का फैसला लिया. अब इसरो खुद ही अपनी तकनीक से लैंडर बना रहा है.
बैठक में मिली मंजूरी
माना जा रहा है कि यह शोध यान चांद के एक हिस्से पर 100 किमी और दूसरे हिस्से पर करीब 30 किमी की दूरी तय कर सकता है. 19 जून को आयोजित हुई चौथी कांप्रेहेंसिव टेक्निकल रिव्यू (सीटीआर) की मीटिंग में इस नई योजना के तहत चंद्रयान-2 की बनावट और प्रणाली में बदलाव करने को मंजूरी दे दी गई है.
अभियान में देरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन नए बदलावों को करने के बाद सभी नए हार्डवेयर का परीक्षण किया जाएगा और इसके बाद उसका फैब्रिकेशन शुरू किया जाएगा. इसके कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. चंद्रयान-2 को इससे पहले अक्टूबर में ही भेजा जाना था लेकिन अब भारत का यह सपना जनवरी या फरवरी 2019 में ही पूरा हो पाएगा.