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भारतीय संविधान के तहत चलेगा शिया वक्फ बोर्ड, इराक के फतवा से नहीं : वसीम रिजवी

लखनऊ। उप्र सेन्ट्रल शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि इराक से आयतुल्लाह सीस्तानी साहब का एक फतवा आया है, जिसके माध्यम से अयोध्या राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में किए गए दावे को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। शिया वक्फ बोर्ड सिर्फ भारतीय संविधान के बने कानून के तहत चलेगा, इराक से आये किसी फतवे से नहीं। वसीम रिजवी ने मंगलवार को अपने बयान में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम मंदिर के पक्ष में किया गया दावा वापस लेने का दबाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथी मुस्लिम समाज की तरफ से बनाया जा रहा है, क्योंकि शिया वक्फ बोर्ड सु्प्रीम कोर्ट में लम्बित मामले में सुन्नी पक्षकारों से अलग हो चुका है और वहां विवाद को समाप्त कर के अयोध्या में राम मंदिर बनाने का पक्ष रख रहा है।

इससे बाबरी पक्षकारों का पक्ष माननीय न्यायालय में बहुत कमजोर हो गया है। रिजवी ने कहा कि दाऊद इब्राहिम ने मुझे धमकी दी और जब उसके पांच लोग मुझे मारने आये तो पकड़े गए। इसके बाद जमाअते इस्लामी ने मेल से धमकी दी और मेरी मौत के बाद पाकिस्तान में जश्न की बात कही। इसी क्रम में दबाव बनाने के लिए इराक से आयतुल्लाह शीस्तानी साहब का फतवा आया है। ये सभी शिया वक्फ बोर्ड पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है, जिससे बोर्ड अपना हलफनामा वापस कर ले।

आयतुल्लाह साहब का फतवा उन्हें गुमराह कर के मंगवाया गया है, जिसे वह नहीं मानते है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण हिन्दू समाज के आस्थाओं के अनुसार उनका अधिकार है। शिया वक्फ बोर्ड अपनी जिम्मेदारी देश हित में निभा रहा है। हमें हिन्दुस्थान और समाज की तरक्की का फिक्र है। हिन्दुओं को उनका हक मिलना चाहिए और मुस्लिम को किसी का हक मारने के गुनाह से बचना चाहिए।

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