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राफेल पर जेटली ने दागे 15 सवाल, कहा- कांग्रेस ने 10 साल तक लटकाए रखी डील

नई दिल्ली। राफेल डील के विवाद पर कांग्रेस और मोदी सरकार आमने-सामने हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं. अब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर पलटवार किया है. जेटली ने कहा कि राफेल के दाम पर कांग्रेस लगातार अलग-अलग बयान दे रही है और वो खुद कंफ्यूज है.

अरुण जेटली ने बुधवार को ब्लॉग लिख कांग्रेस पर हमला बोला और राहुल गांधी से 15 सवाल पूछे. जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा कि कांग्रेस पार्टी बिना किसी आधार के सरकार पर इस डील को लेकर निशाना साध रही है. उन्होंने लिखा कि एक राष्ट्रीय पार्टी से इस प्रकार की उम्मीद की जाती है कि कोई भी आरोप लगाने से पहले वह तथ्यों की जांच करें. जेटली ने लिखा कि यूपीए ने इस डील में करीब एक दशक की देरी की, जिसका सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ा.

अरुण जेटली ने कहा कि अभी तक इस डील के दाम पर जो भी राहुल गांधी और कांग्रेस भी कह रहे हैं, वह सब झूठ है. इस प्रकार के मुद्दे उठाकर कांग्रेस पार्टी सिर्फ इस डील को टालना चाह रही है, जिसका असर भारत की सुरक्षा पर पड़ा था.

जेटली ने अपने ब्लॉग में कांग्रेस पार्टी से करीब 15 सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार पूरी तरह से निर्णय लेने में असमर्थ थी, क्या ये सही नहीं है कि इसी कारण इतनी महत्वपूर्ण डील करीब एक दशक तक टलती रही.

उन्होंने सवाल दागा कि क्या इस डील में देरी के कारण ही भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर शंका नहीं खड़ी हुई. जेटली ने सीधे राहुल गांधी पर भी सवाल दागा. उन्होंने लिखा कि राहुल गांधी ने कई बार सरकार पर आरोप लगाते हुए राफेल के अलग-अलग दामों का जिक्र किया है. क्या राहुल गांधी को तथ्यों की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सच सिर्फ एक होता है, लेकिन झूठ के कई चेहरे होते हैं.

इसके अलावा अरुण जेटली ने ANI को इंटरव्यू देते हुए अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा पर भी निशाना साधा. जेटली ने कहा कि मैं ‘अवसरवादी राष्ट्रवादियों’ पर कमेंट नहीं करना चाहता हूं. पहले ये हमारे साथ ही थे और अब हमारी आलोचना कर रहे हैं.  जब तक उनके राजनीतिक करियर को फायदा मिलता रहा, तब तक वे हमारे साथ ही रहे. लेकिन अब क्योंकि विचार नहीं मिलते हैं तो ऐसी बात कर रहे हैं.

जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा ही लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकती है. राफेल का समझौता पूरी तरह से दो सरकारों के बीच का है, ये कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई प्राइवेट पार्टी इन्वॉल्व नहीं है.

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