लखनऊ। समाजवादी पार्टी में घमासान बढ़ता ही जा रहा है. जहां एक तरफ शिवपाल यादव अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. वहीं अखिलेश ने भी अब अपनी चुप्पी तोड़ दी है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. या यूं कहें कि चाचा-भतीजे में ठनी हुई है. इन सबके बीच मुलायम सिंह यादव खामोश नजर आ रहे हैं. अखिलेश ने शिवपाल का नाम लिए बग़ैर कहा कि अंकल, चाचा और बीजेपी के सबसे बड़े नेता की मीटिंग हो चुकी है. उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ लोगों ने उन्हें बताया है. बता दें कि अमर सिंह को वे अंकल कह कर बुलाते रहे हैं. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में अखिलेश ने कहा “ अंकल तो मिसाइल हैं, उन्हें गाइड कौन कर रहा है ? हमारा मुक़ाबला उन्हें गाइड करने वालों से है”. पिछले कुछ दिनों में राज्य सभा सांसद अमर सिंह ने उनके बारे में बहुत भला बुरा कहा है.
शिवपाल यादव अब समाजवादी पार्टी से अलग रास्ते पर जाने का मन बना चुके हैं
वहीं शिवपाल यादव भी अब समाजवादी पार्टी से अलग रास्ते पर जाने का मन बना चुके हैं. वे कहते हैं मैं समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मज़बूत करूंगा. कई छोटी पार्टियों के वे सम्पर्क में भी हैं.शिवपाल यादव हर हाल में अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. अखिलेश यादव का कहना है कि अमर सिंह और शिवपाल यादव के बहाने बीजेपी मुद्दों से ध्यान हटाने में लगी है. वे कहते हैं बीजेपी तो इस खेल में माहिर हैं. हर चुनाव से पहले बीजेपी यही करती रही है.
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मज़बूत करने में जुटे शिवपाल
समाजवादी पार्टी में शिवपाल के दिन गिने चुने रह गए हैं. लोगों से मिलना मिलाना और राज्य के अलग अलग इलाक़ों का दौरा उन्होंने तेज़ कर दिया है. शिवपाल यादव अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मज़बूत कर रहे हैं. तीन महीने पहले ही उनके समर्थकों ने ये मोर्चा बनाया था.कई जिलों में इसके दफ़्तर भी खुल गए हैं. हाल ही में योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने उनसे मुलाक़ात की थी. वे बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष हैं. पिछले कुछ महीनों से राजभर कई मौक़ों पर योगी सरकार और बीजेपी का विरोध कर चुके हैं.सूत्रों की माने तो यूपी सरकार के तीन मंत्रियों ने भी हाल के दिनों में शिवपाल यादव से फ़ोन पर बातचीत की है.
शिवपाल ने कहा- जो बन पड़ा, परिवार और पार्टी को एकजुट करने के लिए मैंने किया
समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव अब हाशिए पर हैं. वे कहते हैं मैंने जिस पार्टी को खड़ा किया, वहीं अब उपेक्षित महसूस कर रहा हूं. न तो मुझे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बुलाया गया, न ही विधायक दल की बैठकों में बुलाया जाता है. मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा हूं. अखिलेश यादव के कहने पर राज्य सभा चुनाव के दौरान कहने पर मैंने वोट डाला. समाजवादी पार्टी ने होटल ताज में जो डिनर दिया था, मैं वहां भी गया. जो बन पड़ा, परिवार और पार्टी को एकजुट करने के लिए मैंने किया. मेरे एक एक समर्थक को चुन-चुन कर टारगेट किया गया, लेकिन मैं ख़ामोश रहा. लेकिन कब तक. सहने की भी एक सीमा होती है. इतना कह कर शिवपाल यादव कुछ देर के लिए चुप हो गए.
लखनऊ में लोहिया ट्रस्ट के ऑफ़िस में चल रहा है बैठकों का दौर
शिवपाल यादव राजनीति की दूसरी पारी खेलने का मन बना चुके हैं. कैसे और किसके साथ ? इस पर होमवर्क चल रहा है. हफ़्ते के पांच दिन तो वे लखनऊ से बाहर यूपी के अलग अलग इलाक़ों का दौरा करते हैं. अपने समर्थकों के साथ मिलते हैं. समाजवादी पार्टी के कई पुराने नेता उनसे अब भी जुड़े हुए हैं. लखनऊ में लोहिया ट्रस्ट के ऑफ़िस में लगातार बैठकें शुरू हो गई हैं. ये एक तरह से शिवपाल यादव का नया दफ़्तर बन गया है. यूपी की कई छोटी पार्टियों से वे बातचीत कर रहे हैं. भदोही से निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र ने भी उनसे मुलाक़ात की.
शिवपाल यादव अपने लिए समाजवादी पार्टी में एक ज़िम्मेदारी का पद चाहते थे. कहते हैं कि मुलायम सिंह ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने का भरोसा दिया था. लेकिन ये वादा तो वादा ही रहा. शिवपाल यादव ने तो दिल्ली की राजनीति करने का मन बना लिया था. अब भी वे इसी मूड में हैं. वे लगातार इटावा, मैनपुरी, एटा और फ़िरोज़ाबाद के कार्यकर्ताओं से मिलते रहते हैं. उनके क़रीबियों की मानें तो शिवपाल यादव लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में है. शिवपाल कैंप के नेताओं का कहना है कि बीएसपी एसपी गठबंधन होने पर कई नेताओं को टिकट नहीं मिल पायेगा. लेकिन हर हाल में वे चुनाव लड़ेंगे. ऐसे लोगों के लिए शिवपाल यादव का झंडा और बैनर एक विकल्प हो सकता है.