Tuesday , September 10 2024

….तो क्या बुआ-बबुआ का गठबंधन फेल हो गया

यूपी में बीएसपी की तैयारी लोकसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की

लखनऊ। यूपी में बीएसपी की तैयारी लोकसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की है. गठबंधन को लेकर मायावती ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं. राज्य भर में चल रहे पार्टी के कैडर कैंपों में दलित मुस्लिम एकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है. इन बैठकों में समझाया जाता है कि दलितों के सम्मान के लिए मोदी सरकार को हटाना हर हाल में ज़रूरी है.

माना जा रहा था कि बीजेपी के ख़िलाफ़ यूपी में विपक्ष एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ेगा लेकिन मायावती के मन में कुछ और ही चल रहा है. कम से कम बीएसपी के कैडर कैंपों से ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. राज्य के 75 में से अधिकतर जिलों में ऐसी बैठकें हो चुकी हैं. कुछ इलाक़ों में तो ब्लॉक स्तर तक के ऐसे कार्यक्रम हो चुके हैं. इन बैठकों में जो चर्चा होती है वो बेहद हैरान करने वाली है और ये अखिलेश यादव के लिये ख़तरे की घंटी भी है.

बीएसपी की बैठकों में सबसे पहले बताया जाता है कि इस बार बहिन जी को प्रधानमंत्री बनाना है. ऐसा मौक़ा फिर कभी नहीं मिलेगा. बीजेपी और मोदी सरकार दलित विरोधी है. इस सरकार को अगर नहीं हटाया गया तो दलित और मुस्लिम बर्बाद हो जायेंगे. कैडर कैंप के आख़िर में समझाया जाता है कि गठबंधन पर फ़ैसला बहिन जी करेंग. हमें हर सीट पर तैयार रहना है. बीएसपी के नेता और कार्यकर्ता मायावती को बहिनजी कहते हैं.

बीएसपी के प्रदेश स्तर के नेता यूपी में घूम घूम कर कैडर कैंप लगा रहे हैं. वैसे तो इन बैठकों में सिर्फ़ दलित नेता और कार्यकर्ताओं को बुलाया जाता है. लेकिन इस बार इलाक़े के कुछ ख़ास मुस्लिम लोगों को भी मीटिंग में बुलाया जा रहा है. ऐसे नेता मंच से भाषण भी देते हैं. मुज़फ़्फ़रनगर में ऐसी ही एक सभा में मुस्लिम समाज के नेता ने कहा कि हम लोग खुल कर सामने नहीं आ सकते हैं. हमारी बिरादरी का पूरा सपोर्ट आपके साथ है. इस बार हम कहीं कोई चूक नहीं करेंगे. अगर हम आपके समर्थन में खुल कर आए तो बीजेपी को फ़ायदा हो सकता है.

मायावती के एक क़रीबी नेता ने बताया कि अभी हम यूपी से बाहर के गठबंधन पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारी नज़र एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर हैं. यहां के विधानसभा चुनाव के लिए अगर कांग्रेस और बीएसपी में समझौता हुआ तो फिर यूपी में भी दोनों पार्टियां साथ हो सकती हैं.

कर्नाटक चुनाव के बाद से ही मायावती ने अपनी रणनीति बदल ली है. यूपी से बाहर अलग अलग राज्यों में गठबंधन पर उन्होंने होमवर्क शुरू कर दिया है. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल को बीएसपी ने अपना साथी बनाया है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी मायावती से मुलाक़ात कर चुके हैं.

बीएसपी अब महाराष्ट्र में भी गठबंधन करना चाहती है लेकिन यूपी में गठबंधन को लेकर मायावती मौन हैं. सिर्फ़ अखिलेश यादव और राहुल गांधी ही बार बार गठबंधन की चर्चा करते रहते हैं. मायावती ने यूपी में गठबंधन को लेकर कभी एक शब्द नहीं बोला है. यूपी में 21 प्रतिशत दलित और 18 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. मायावती को भरोसा है ये दोनों बिरादरी अगले चुनाव में हाथी की सवारी करेंगे.

सूत्रों की माने तो लोकसभा की सुरक्षित सीटों को लेकर बीएसपी और समाजवादी पार्टी में पेंच फंस गया है. ख़बर है कि मायावती की पार्टी के एक बड़े नेता ने इतनी सीटें मांग ली है कि अखिलेश के होश उड़ गए हैं. अखिलेश ने सबसे बड़ी ग़लती ये की है कि वे अपनी पार्टी को अभी से गठबंधन के फ़्रेम में ले आए हैं. समाजवादी पार्टी की चुनावी तैयारी भी उसी हिसाब से हो रही है लेकिन मायावती की माया तो अपरंपार है उनकी तैयारी कुछ और ही है.

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