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भारत सरकार ने दी सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी, ‘फेक न्यूज़ को रोको, वरना…’

नई दिल्ली। केंद्र सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के भारत में मौजूद प्रमुखों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है, यदि वे ऑनलाइन मीडिया पर नफरत तथा गलत सूचनाएं फैलाने वाले मैसेजों को नहीं रोक पाते हैं. यह जानकारी एक अधिकारी ने बुधवार को दी, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार अब व्हॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार है. फोन-मैसेजिंग ऐप व्हॉट्सऐप तथा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर फैली फेक न्यूज़ की बदौलत मॉब किंलिंग की कई वारदात हो चुकी हैं. माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर नफरत फैलाने वाले मैसेजों और रेप की धमकियों की वजह से बहुत-से लोगों ने सोशल मीडिया साइट का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है.

भारत में 20 करोड़ यूज़रों के साथ सबसे बड़ा बाज़ार रखने वाले व्हॉट्सऐप ने सरकार की इस मांग को मानने से इंकार कर दिया है कि वह सरकार को किसी भी मैसेज को भेजने वाले वास्तविक व्यक्ति की पहचान बताए. सरकार ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से एक शिकायत अधिकारी भी नियुक्त करने के लिए कहा है, और इसी मांग को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है.

इस मामले में शामिल एक वरिष्ठ नौकरशाह ने NDTV को बताया, “सभी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों के कंट्री प्रतिनिधि भारत में मौजूद हैं… अगर वे ऑनलाइन नफरत को नहीं रोकते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी…”

यही सिफारिश उस समिति ने भी की है, जिसने लिचिंग के मामलों पर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह को सौंपी है. इस सिफारिश को औपचारिक मंज़ूरी मिलना बाकी है, लेकिन ऑनलाइन कंपनियों को फॉलो-अप बैठकों के दौरान इस बारे में चेता दिया गया है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने समाज के सभी वर्गों के लोगों तथा अन्य से सलाह-मशविरा किया, और उसके बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिसमूह को सौंपी है… अब मंत्रिसमूह अपनी सिफारिशों को अंतिम फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखेगा…”

अधिकारी ने यह भी बताया, “हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों – व्हॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर तथा यूट्यूब – के साथ बैठकें बढ़ा दी हैं… ऐसा ढांचा तैयार किया जा रहा है, जिससे सरकार को आपत्तिजनक सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने का आदेश देने का अधिकार मिल सके…”

सभी ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्मों को कम्प्लायन्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा गया है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है, “अगर अनुपालन समय पर नहीं होता, या नुकसान बढ़ जाता है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी…”

सभी सोशल मीडिया कंपनियों से कहा गया है कि वे NGO तथा वॉलंटियरों को भर्ती करें, ताकि सरकार को ऑनलाइन सामग्री को स्कैन करने (जांचने) में मदद मिल सके. इसके अलावा एक वेब पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है, जिस पर कोई भी अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकेगा.

अधिकारी ने जानकारी दी, “CCPWC के ज़रिये कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर कुछ आपत्तिजनक देखने पर शिकायत दर्ज करवा सकेगा…” इसके लिए NCRB को नोडल एजेंसी बनाया गया है.

रिपोर्ट में विभिन्न लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी रोकने के लिए भी अधिक अधिकार दिए गए हैं. नॉर्थ ब्लॉक में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने कई वर्कशॉप आयोजित कीं और उन्हें समझाया कि इन नाज़ुक मुद्दों से कैसे निपटा जा सकता है…”

अधिकारी के अनुसार, “सोशल मीडिया फैल रहा है… अब लोग एक दूसरे से आमने-सामने नहीं, ऑनलाइन मिलते हैं… सो, क्या-क्या ऑनलाइन में परोसा जा रहा है, इसे देखने और रोकने के लिए काफी उपाय करने होंगे… यह बिल्कुल ऐसा ही है, जैसे किसी इलाके में बीट कॉन्स्टेबलों की तादाद बढ़ा दी जाए…”

सरकार का यह कदम तब आया है, जब पिछले एक साल में नौ राज्यों में लगभग 40 लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई है. पिछले महीने लिंचिंग की वारदात रोकने की खातिर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह जारी की थी.

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