नई दिल्ली। आईआरसीटीसी होटल टेंडर घोटाले में पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. अदालत ने लालू को आगामी 6 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश जारी किए हैं, लिहाजा उन्हें पेशी के लिए रांची से दिल्ली लाया जाएगा. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से लालू यादव की पेशी के लिए प्रोडक्शन वारंट की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
इससे पहले लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव सहित सभी 14 आरोपियों को राहत देते हुए जमानत दे दी. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. इस मामले में पौने दस बजे तेजस्वी अपनी मां के साथ पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचे थे. सभी आरोपियों ने कोर्ट में जमानत की अर्जी दी. जज ने सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों एक-एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है.
IRCTC scam case: Delhi’s Patiala House Court issues production warrant against Lalu Prasad Yadav for 6th October pic.twitter.com/SC0iLkLnfy
— ANI (@ANI) August 31, 2018
सीबीआई ने दाखिल की थी चार्जशीट
IRCTC घोटाले मामले में आरोपी बनाते हुए सीबीआई ने 16 अप्रैल को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और इससे जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. लालू की पत्नी राबड़ी और उनके पुत्र तेजस्वी यादव भी उन 14 लोगों में शामिल थे, जिनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गईथी. जबकि जांच एजेंसी ने उस समय आइआरसीटीसी के जीएम बीके अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. सूत्रों के मुताबिक रेल मंत्री ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की सलाह पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन-19 के तहत अभियोग चलाने की मंजूरी दी थी.
क्या है पूरा मामला
यह मामला इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आईआरसीटीसी) द्वारा रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को देने से जुड़ा है. विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक हैं. इसके बदले में कथित तौर पर लालू को पटना में बेनामी संपत्ति के रूप में तीन एकड़ जमीन मिली. एफआईआर में कहा गया था कि लालू ने निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. इसके बदले में उन्हें एक बेनामी कंपनी डिलाइट मार्केटिंग की ओर से बेशकीमती जमीन मिली.सुजाता होटल को ठेका मिलने के बाद 2010 और 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक सरला गुप्ता से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गया. हालांकि इस दौरान लालू रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे.