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ऋतिक रोशन से जुड़ा यह मामला बताता है कि फिल्म पत्रकारिता को कितने हल्के में लिया जाता है

अंजलि मिश्रा

मीडिया में फिल्म अभिनेता ऋतिक रोशन द्वारा किए गए कुछ ट्वीट्स की चर्चा जोरों पर है. इन ट्वीट्स में उन्होंने खुद से जुड़ी एक फर्जी खबर को लेकर हिंदी के दो सबसे बड़े मीडिया संस्थानों पर करारा तंज कसा है. बीते कुछ दिनों से ऋतिक रोशन और दिशा पाटनी से जुड़ी एक खबर खासी चर्चा बटोर रही थी. इस खबर में कहा गया था कि ऋतिक रोशन के फ्लर्ट करने वाले रवैये से तंग आकर दिशा पाटनी ने यशराज फिल्म्स का एक बड़ा प्रोजेक्ट छोड़ दिया है. इसके बाद ऋतिक ने इस पर ट्वीट्स करके तंज किया तो दिशा पाटनी ने भी इसका जोरदार खंडन कर दिया. इस सबका मिला-जुला असर यह रहा कि यह खबर लगातार मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई है.

Hrithik Roshan

@iHrithik

‘भास्कर bhaisaab? कहाँ हो? हाल चाल सब? सब ठीक? देखिए, आपकी दुकान ki प्रगति के लिए मेरी तरफ़ से यह ट्वीट. Next time सीधे बोल देना की help चाहिए।

Hrithik Roshan

@iHrithik

मेरे प्यारे मित्र ‘पत्रिका जी”, कसरत करते हो? थोड़ा gym जाओ। mind से सारा कचरा निकल जाएगा! ख़ासकर बीस donkey किक्स, बीस monkey रोल & 2 dog jumps आप के लिए सही रहेगा। ज़रूर कीजिएगा। गुड luck. गुड day. And लव you टू 🙂

ऋतिक रोशन के ट्वीट के जवाब में निष्पक्ष पत्रकारिता का हवाला देते हुए एक मीडिया हाउस की तरफ से भी कहा गया कि यह खबर लंबे समय से पब्लिक डोमेन में है और अगर ऋतिक रोशन अपनी प्रतिक्रिया के साथ इस पर अपना पक्ष भी रखते तो उसे भी जगह दी जाती. यह एक कथन हिंदी के ज्यादातर मीडिया संस्थाओं के काम करने का तरीका बता देता है. हर खबर जिसे कई लोगों ने प्रकाशित किया हो, सही मान ली जाती है और कॉपी-संपादकों द्वारा अपने तरीके से लिखकर छाप दी जाती है. जैसा कि इस ट्वीट के कमेंट-थ्रेड में भी कहा गया है कि यह जरूरी नहीं है पब्लिक डोमेन में मौजूद हर खबर सही हो. इसलिए मीडिया को उसका सत्यापन करने के बाद ही उसे छापना चाहिए. लेकिन अफसोस कि ऐसा होता नहीं है.

Hrithik Roshan

@iHrithik

‘भास्कर bhaisaab? कहाँ हो? हाल चाल सब? सब ठीक? देखिए, आपकी दुकान ki प्रगति के लिए मेरी तरफ़ से यह ट्वीट. Next time सीधे बोल देना की help चाहिए। pic.twitter.com/f92izpXh1v

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Dainik Bhaskar

@DainikBhaskar

@iHrithik जी,
आपकी जानकारी के लिए यह खबर 4 दिन पहले से ही पब्लिक डोमेन में है। यदि आप खबर पर प्रतिक्रिया के साथ स्पष्टीकरण भी देते तो हम उसे निश्चित ही प्रकाशित करते। क्योंकि हमारा भरोसा हमेशा से निष्पक्ष और उत्कृष्ट पत्रकारिता में रहा है और रहेगा। pic.twitter.com/nrYRMADCkl

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ऋतिक रोशन के ट्वीट्स के बाद हिंदी के मीडिया हाउसेस की जमकर थू-थू हो रही है. कई रीडर्स ने इस खबर को छापने वाले हिंदी अखबारों और वेबसाइटों का बहिष्कार करने की बात कही है. लेकिन मामला सिर्फ हिंदी तक ही सीमित नहीं है, अंग्रेजी में होने वाली फिल्म पत्रकारिता भी कोई बहुत जिम्मेदारी से किया जाने वाला काम हो, ऐसा नहीं लगता है.

ऋतिक रोशन के ट्वीट को रिपोर्ट करने वाली हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट ने लिखा हैकि ‘टाइम्स नाउ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ऋतिक रोशन की फ्लर्टिंग से तंग आकर दिशा पाटनी ने यशराज बैनर की डांस-एक्शन फिल्म को छोड़ दिया है.’ इस रिपोर्ट में टाइम्स नाउ की जिस खबर का लिंक दिया गया है, वह इससे एकदम उलट बात कहती है. टाइम्स नाउ की रिपोर्ट, दिशा पाटनी के सूत्र के हवाले से इस खबर को अफवाह बताती है और कहती है कि वे, ऋतिक रोशन के साथ काम करने का मौका चूकना नहीं चाहेंगी.

यह एक छोटा सा उदाहरण यह बताने के लिए काफी है कि फिल्म पत्रकारिता को कितने हल्के तरीके से लिया और किया जाता है. मीडिया संस्थानों में वे पत्रकार जो किसी और काम में फिट नहीं हो पाते या सीधे-सीधे कहें तो, जो कुछ और करना नहीं जानते, उन्हें अक्सर फिल्म या फीचर सेक्शन दे दिया जाता है. हिंदी खासकर वेब मीडिया में यह चलन बहुत ज्यादा है और फिल्म समीक्षाएं, साक्षात्कार, फिल्मी रिपोर्टिंग सबसे कम गंभीरता से किए जाने वाले काम है. मीडिया हाउसेज से लेकर खुद पत्रकार तक यह बात समझने को तैयार नजर नहीं आते कि राजनीति, बिजनेस, विदेश, खेल किसी भी विषय का पत्रकार केवल अपने विषय का माहिर होता है जबकि फीचर लिखने वालों को कला और समाज के साथ-साथ इन सब विषयों की जानकारी होना भी जरूरी है. फिल्मों के मामले में बेहद सावधानी से काम लेना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि लगभग हर व्यक्ति उन्हें देखता है औऱ उन पर राय रख सकता है. लेकिन होता इसका बिलकुल उल्टा है.

वेब पत्रकारों के साथ एक समस्या क्लिकबेट्स की भी है. उसे अपनी हर खबर पर अधिक से अधिक क्लिक्स चाहिए और यह मान लिया गया है कि क्लिक्स ऐसी ही मसाला और अजीबोगरीब खबरों पर आते हैं. चूंकि फिल्मी लेखन को वैसे ही बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता इसलिए उनके साथ कुछ ज्यादा ही खिलवाड़ किया जाता है. ऊपर से ज्यादातर हिंदी वेबसाइट्स एक तरह से यह भी मानकर ही चलती हैं कि हिंदी पाठक के पास इतनी समझ नहीं है कि वह उनकी तरफ से परोसे गए कचरे पर सवाल उठा सके. इसीलिए भी वे अपनी मर्जी मुताबिक कंटेंट छापती रहती हैं.

ऋतिक रोशन की तरफ से की गई यह लानत-मलानत हिंदी मीडिया के लिए इस बात का इशारा भी होनी चाहिए कि वे इतने लापरवाह तरीके से खबरें पहुंचाकर लंबे समय तक टिके नहीं रह सकते हैं. इसमें यह सलाह भी छिपी हुई है कि जवाबदारी से की गई रिपोर्टिंग से उनकी क्रेडिबिलिटी ही बढ़ेगी. नहीं तो जैसा कि इन चर्चाओं में कहा जा रहा है, बहिष्कार करने का विकल्प पाठक के पास हमेशा मौजूद है.

चलते-चलते

ऋतिक रोशन से जुड़ी एक खबर और चर्चा में है. इसमें चेन्नई के एक पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज होने की बात कही जा रही है. इसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि ऋतिक के मर्चेंडाइजिंग ब्रांड ‘एचआरएक्स’ के प्रोडक्ट्स की सप्लाई न होने से उन्हें करीब 21 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. कंगना रनोट के मामले में बड़े-बड़े आरोपों के बावजूद मुंह न खोलने वाले ऋतिक का अचानक मीडिया पर इस तरह फट पड़ना इस खबर से ध्यान हटाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है. लेकिन ऋतिक अगर ऐसा कर भी रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने का मौका दे कौन रहा है?

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