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सुप्रीम कोर्ट के इस रिटायर्ड जज ने कहा- टोल प्लाज पर अलग वीआईपी लेन की क्या जरूरत?

नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट द्वारा टोल प्लाजा पर वीआईपी यात्रियों के लिए अलग लेन बनाने के आदेश का विरोध सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने किया है. उन्होंने कहा, ‘मद्रास हाई कोर्ट (जहां कभी मैं भी चीफ जस्टिस था) के जजों का पूरा सम्मान करते हुए, मैं उनके इस आदेश को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं कि टोल प्लाज पर वीआईपी गाड़ियों के गुजरने के लिए एक अलग लेन होनी चाहिए.’

अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर मार्कंडेय काटजू ने लोकतंत्र में कोई भी प्रिवलिज्ड क्लास नहीं होता. उन्होंने कहा, ‘ये निर्णय इस आधार पर दिया गया है कि जजों और अन्य वीआईपी को 10-15 मिनट इंतजार करना पड़ता है. लेकिन ऐसा तो सभी को करना पड़ता है. समानता हमारे संविधान का मूल प्रावधान है, और अनुच्छेद 14 में वीआईपी के लिए कोई विशेष रियायत नहीं हैं. हमारे देश में कोई भी प्रिवलिज्ड क्लास नहीं है.’ उन्होंने कहा कि ‘वीआईपी’ शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है और ऐसे में बड़ी संख्या में लोग खुद के वीआईपी होने का वादा कर सकते हैं.

कानून के सामने सभी समान 
काटजू ने कहा, ‘जब मैं दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस था तो मेरे साथियों ने मुझसे कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट अथारिटी से कहिए कि वहां जजों की सुरक्षा जांच नहीं होनी चाहिए. लेकिन मैंने इनकार कर दिया. मैंने कहा कि कानून के सामने सभी समान हैं और सभी को सुरक्षा जांच करवानी ही चाहिए.’ उन्होंने कहा कि वो कई बार अमेरिका गए हैं और वहां टोल प्लाज पर जजों के लिए कोई विशेष लेन नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं वहां कई जजों से मिला हूं, और वो बेहद विनम्र हैं, और कभी भी विशेष रियायतों का दावा नहीं करते.’

इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को आदेश दिया था कि सभी टोल प्लाजा पर वीआईपी और मौजूदा जजों के लिए एक अलग लेन होनी चाहिए, ताकि उन्हें आने-जाने के लिए इंतजार न करना पड़े. कोर्ट ने कहा था, ‘वर्तमान जजों को टोल प्लाज पर 10-15 मिनट का इंतजार करना पड़ता है. यह बहुत ही दुखद बात है कि वीवीआईपी और वर्तमान जजों की गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रोका जाता है.’

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