पहली बार हिमाचल प्रदेश का एकमात्र शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिये चुना गया। काबलियत के आधार पर हिमाचल के शिक्षक सुनील धीमान को उपराष्ट्रपति शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। बता दें कि सुनील का प्राईमरी स्कूल बंडोल की दशा व दिशा बदलने में अहम योगदान रहा है। उन्हीं के प्रयासों से बंडोल स्कूल प्रदेश का मॉडल स्कूल बन पाया है। सुनील ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही अपने पेशे को समाज सेवा का ही माध्यम माना है। जिससे उन्हें सुकून मिलता है।
प्राईमरी स्कूल के शिक्षक सुनील धीमान हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी के पास राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल में कार्यरत हैं।मानव संसाधन मंत्रालय ने चयनित शिक्षकों की सूची जारी कर दी है। इसमें 45 शिक्षकों का चयन किया गया है जिनमें हिमाचल से एक शिक्षक है। सुनील धीमान पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य पर उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार पाएंगे। नई दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह में 50 हजार रूपए, सिल्वर मेडल और प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
राष्ट्रीय अवार्ड-2017 में चयनित होने वाले ज्वालामुखी के सुनील धीमान पिछले 18 सालों से शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। सुनील धीमान ने बीएससी, डिप्लोमा इन सिविल इंजिनियरिंग और डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन किया है। सुनील के प्रयासों से ही हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का बंडोल ऐसा सरकारी स्कूल बन गया है, जहां पर बच्चे बिना बैग और यहां तक की अब बिना नोट बुक के भी पढ़ाई कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया के तहत प्राईमरी स्कूल में डिजिटल तरीके से ही बच्चों को बिना किताबों और नोट बुक के अध्ययन करवाया जा रहा है। वहीं स्कूल में हर्बल गार्डन भी तैयार किया गया है। इसमें छात्रों द्वारा औषधीय पौधों के साथ-साथ जैविक खेती करते हुए सब्जियां तक तैयार करके मिड-डे मील में इस्तेमाल में लाई जा रही हैं।
सुनील कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलना खुशी की बात है, लेकिन जब तक सभी बच्चों को शिक्षित किए जाने की राह आसान नहीं बन पाती प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा ही अपने पेशे को समाज सेवा का ही माध्यम माना है। जिससे उन्हें सुकून मिलता है।