पुरोहित ने निचली न्यायालय की तरफ से आरोप तय किए जाने पर रोक लगाने की मांग की थी. केवल इतना ही नहीं न्यायालय का कहना है कि गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपों पर ट्रायल न्यायालय की ओर से ही निर्णय लिया जाएगा. कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने याचिका में अपने ऊपर लगे अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) को चुनौती दी थी.
वहीं सुप्रीम न्यायालय में उन्होंने अपना कथित अपहरण, अवैध तरीके से हिरासत में रखने व यातना देने के आरोपों की एसआईटी से जांच का अनुरोध किया गया था. इसके जवाब में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने बोला कि पुरोहित की याचिका पर इस समय विचार करने से मालेगांव मामले में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर प्रभाव पड़ सकता है.
से पहले बॉम्बे न्यायालय भी पुरोहित व अन्य की याचिका को खारिज कर चुकी है. हालांकि पीठ ने पुरोहित को निचली न्यायालय में उनकी दलीलें रखने की छूट प्रदान करते हुये बोला कि उनकी याचिका पर वह कोई राय जाहीर नहीं कर रही है. पीठ ने कहा, ‘हमें इस समय इसमें क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए. इससे सुनवाई पर प्रभाव पड़ सकता है.’ रोहित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बोला कि इस याचिका में उठाये गये मुद्दों पर गौर करने की जरूरत है. पीठ ने बोला कि वह इन्हें निचली न्यायालय के समक्ष उठाए. बता दें कि पुरोहित इस समय जमानत पर हैं. उन्हें पिछले वर्ष शीर्ष न्यायालय ने जमानत दी थी.