गोरखपुर। पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन, योगीराज में शिक्षकों का बुरा हाल है. उन्हें अपने हक की लड़ाई में लाठियां तक खानी पड़ रही है. उनके जन्मदिन पर अपने हक की लड़ाई में महिला अनुदेशकों को महिलाओं का श्रृंगार कही जाने वाली चोटी तक कटवानी पड़ रही है. तो वहीं पुरुष अनुदेशकों को मुंडन कराकर विरोध दर्ज कराना पड़ रहा है. हैरानी की बात ये है कि ये अनोखा प्रदर्शन बीएसए कार्यालय पर किया जा रहा है. लेकिन, हक उनके अधिकारों की लड़ाई में उनका हाल जानने तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा.
पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में मानदेय पर पढ़ाने वाले अनुदेशकों का बुरा हाल है. प्रदेश सरकार की पहल पर केन्द्र सरकार ने इस अनुदेशकों का मानेदय बढ़ाने का आदेश तो दे दिया, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक इनका मानदेय नहीं बढ़ाया है. ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनका महीने का खर्च भी चल पाना मुश्किल है. तमाम धरना-प्रदर्शन के बावजूद मानदेय नहीं बढ़ने से अनुदेशक निराश हैं. नतीजा आज वे बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय के बाहर इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे. यहां पर महिला अनुदेशकों ने अपनी चोटी कटवाई, तो वहीं पुरुष अनुदेशकों ने मुंडन कराकर विरोध जताया.
प्रदेश के पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार-2009 एक्ट के तहत साल 2013 में सपा सरकार ने अनुदेशकों को 8,470 रुपए मानदेय पर पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त किया था. इसके लिए सितम्बर 2009 में सर्वे किया गया. प्रदेश में 13,709 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं. प्रत्येक में 3 अनुदेशक (खेल, कला और कम्प्यूटर) नियुक्त हुए. गोरखपुर मंडल 2000 अनुदेशक और जिले में 539 अनुदेशक तैनात हैं. नियुक्ति के समय से ही अनुदेशकों ने मानदेय बढ़ाने के लिए आवाज उठाई. लेकिन, उनकी नहीं सुनी गई. पिछले साल बीजेपी की सरकार आने के बाद अनुदेशकों में उम्मीद जगी.
प्रदेश की बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद पहल की. जिसके बाद विभाग ने अनुदेशकों का मानदेय 17,000 रुपए करने के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज दिया. केन्द्र सरकार की ओर से 15 मई 2017 को प्रस्ताव पास भी कर दिया. अनुदेशकों को उम्मीद जगी कि अब उनका मानदेय बढ़ा दिया जाएगा और उनके आर्थिक हालत भी सुधर जाएंगे. लेकिन, प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया. उसके बाद से अनुदेशक लगातार धरना और प्रदर्शन कर अपनी आवाज उठा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश अनुदेशक संघ के अध्यक्ष विक्रम सिंह, बृजकिशोर और धनंजय सिंह कहते हैं कि आज अनुदेशकों का मानदेय केन्द्र सरकार की ओर से बढ़ाए जाने के बाद भी उन्हें योगी सरकार उनका मानदेय 17000 रुपया नहीं दे रही है. 17 से 18 महीने होने के बाद भी उनका बढ़ा हुआ मानदेय नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि इसके बावजूद 31 अगस्त को बेसिक शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा कि 17000 नहीं 9800 रुपए देने जा रही है.
वे बताते हैं कि उनके दस साथियों ने आत्महत्या कर लिया. लेकिन यूपी सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही है. इसलिए उन लोगों ने शिक्षक दिवस पर मुंडन कराकर पूरे प्रदेश के 75 जिलों में विरोध जता रहे हैं. महिला साथियों ने भी बाल न्योछावर करके झांसी की रानी की तरह वीरता दिखाई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने 9 तारीख तक सरकार को अल्टीमेटम दिया है. सरकार ने उनकी बात नहीं मानीं, तो 10 तारीख को यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ के आवास पर जाकर ब्रह्मभोज का कार्यक्रम भी करेंगे.
वहीं महिला अनुदेशक सुशीला और रचना का कहना है कि 17 महीने बीतने के बावजूद सरकार ने 1330 रुपए मानदेय बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ये रुपया अपने पास रखे और सर्फ साबुन खरीदे. उनका कहना है कि सरकार को बढ़ा हुआ मानदेय 17000 रुपए का भुगतान करें. इसी मांग को लेकर उन लोगों ने अपनी चोटी कटवा कर विरोध जताया है. उनका कहना है कि चोटी औरत का श्रृंगार होता है और वे अपना श्रृंगार उतारकर विरोध जता रही हैं. उनका कहना है कि जब तक उन्हें सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलेगा, वे शिक्षक दिवस का बहिष्कार करते हैं.
प्रदेश में ऐसे 31000 अनुदेशक हैं, जो 8,470 रुपए मानदेय पर सेवा दे रहे हैं. इन अनुदेशकों के आर्थिक हालात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये हैं कि जब सरकार ही इनकी नहीं सुन रही है, तो आखिर ये जाएं तो जाएं कहां.