लखनऊ। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की नई व्यवस्था के बाद भर्ती परीक्षाओं में होने वाली सेंधमारी पर काफी हद तक रोक लगने की संभावना है। आयोग भर्ती परीक्षाएं कम से कम जिलों में कराएगा और चंद मिनट पहले बताया जाएगा कि किस सेट का पेपर बांटा जाएगा। इतना ही नहीं आयोग के सदस्यों को परीक्षा वाले जिलों की कमान सौंपी जाएगी। आयोग का मानना है कि इससे भर्ती परीक्षाओं में होने वाली धांधली पर काफी हद तक रोक लगेगी और परीक्षा स्थगित होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
एजेंसियों को काम देने पर नए सिरे से विचार
अधीनस्था सेवा चयन आयोग ने भर्ती परीक्षाओं के लिए कई एजेंसियों का पैनल तैयार कर रखा है। इसके आधार पर एजेंसियों को भर्ती परीक्षाओं की जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। आयोग पैनल में शामिल एजेंसियों की कार्यप्रणाली की नए सिरे से परीक्षण कराएगा और शक के आधार पर इन्हें बाहर कर दिया जाएगा। किसी भी एजेंसी पर कभी भी कोई दाग अगर लगा है तो उसे काम नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं एजेंसी को काम देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वह प्रिंटिंग प्रेस पर छपाई का काम देने से पहले उसकी जांच-पड़ताल अनिवार्य रूप से अपने स्तर पर कराएं, जिससे बाद में किसी तरह की कोई समस्या न आए।
भविष्य की परीक्षाओं पर मंथन
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भविष्य की परीक्षाओं पर अभी से मंथन शुरू कर दिया है। आयोग 16 सितंबर को व्यायाम प्रशिक्षक के 42 और क्षेत्रीय युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के 652 पदों की भर्ती परीक्षा कराने जा रहा है। इसके बाद 14 अक्तूबर को अधीनस्थ कृषि सेवा वर्ग प्राविधिक सहायक के करीब 2000 पदों की भर्ती परीक्षा कराने की तैयारियां कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष सीबी पालीवाल ने सभी सदस्यों के साथ बैठक कर भर्ती परीक्षा में धांधली रोकने के लिए सुझाव मांगे थे। आयोग के अध्यक्ष को जो भी सुझाव मिले हैं उसे मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में रखेंगे।
योग्यतावार परीक्षा पर भी विचार
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग चाहता है कि भर्ती परीक्षाएं योग्तावार कराई जाएं। मसलन इंटर स्तर तक के पदों सभी पदों के लिए एक भर्तियां निकलाते हुए एक परीक्षा कराई जाए। इसी तरह स्नातक स्तर के पदों के लिए एक भर्तियां निकालकर परीक्षाएं कराई जाएं। इससे भर्तियों में होने वाली धांधली की संभावना काफी हद तक काम होगी।