नई दिल्ली। देशभर में मॉब लिंंचिंग के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (शुक्रवार को) सुनवाई होगी. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ तहसीन पूनावाला और अन्य की याचिका पर सुनवाई करेगी. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किया था. कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं को लेकर कहा था कि कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. डर और अराजकता की स्थिति में राज्य सरकारें सकरात्मक रूप से काम करें. कोर्ट ने संसद से यह भी कहा था कि वो देखे कि इस तरह की घटनाओं के लिए कानून बन सकता है क्या?
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई गाइडलाइन जारी करने को कहा था और अगले 4 हफ्तों में कोर्ट में जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने जाति और धर्म के आधार पर लिंचिंग के शिकार बने लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रही लॉबी को भी बड़ा झटका दिया था. चीफ जस्टिस ने वकील इंदिरा जयसिंह से असहमति जताते हुए कहा था कि इस तरह की हिंसा का कोई भी शिकार हो सकता है सिर्फ वो ही नहीं, जिन्हें धर्मा और जाति के आधार पर निशाना बनाया जाता है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था. इसके अलावा मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी. इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई थी.