लखनऊ। मायावती को कोई बात खटक न जाए, इसीलिए अखिलेश यादव अपने नेताओं की क्लास लेंगे. 9 सितंबर के लखनऊ में समाजवादी पार्टी ऑफ़िस में मीटिंग बुलाई गई है. पार्टी के सभी प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्टों को पाठ पढ़ाने की तैयारी है. न्यूज़ चैनल पर होने वाली बहस में जो नेता शामिल होते हैं, उन्हें मीडिया पैनलिस्ट कहा जाता है. अखिलेश यादव की पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ‘राय साहेब’ भी नेताओं को टिप्स देंगे. मायावती की पार्टी बीएसपी से गठबंधन को लेकर अखिलेश कोई चूक नहीं करना चाहते हैं. इस पर मीडिया में कोई ग़लत संदेश न चला जाये, इस बात को लेकर अखिलेश अलर्ट रहते हैं.
बुआ के सम्मान में भतीजा मैदान में
समाजवादी पार्टी के एक प्रवक्ता ने ये नारा दिया है. उन्होंने बताया कि बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन इसी फ़ार्मूले पर चलेगा. बुआ यानी मायावती और भतीजा यानी अखिलेश यादव. मामला यूपी में अगले लोकसभा चुनाव महागठबंधन को लेकर है. अखिलेश यादव तो एलान कर चुके हैं कि गठबंधन के लिए वे कोई भी क़ुर्बानी देने को तैयार हैं. इसे बताने और दिखाने के लिए ही उन्होंने अपने पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक बुलाई है.
इस मीटिंग में सबको बताया जायेगा कि क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है. तय हुआ है कि गठबंधन को लेकर कोई भी नेता बयान नहीं देगा. न ही किसी चैनल के डिबेट में कोई हिस्सा लेगा. जो भी कहना है वे सिर्फ़ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ही बतायेंगे. समाजवादी पार्टी के सभी प्रवक्ता मीडिया में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बारे में हमेशा अच्छी बातें कहेंगे.
समाजवादी पार्टी ने ये भी तय किया है कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन पर कोई भी नेता कुछ नहीं बोलेगा. अगर इस मुद्दे पर पत्रकार कोई सवाल करते हैं तो जवाब गोल मोल दिया जायेगा. अखिलेश यादव तो ख़ुद इस सवाल के जवाब में नोटबंदी की बातें करने लगते हैं. कोई भी ऐसा सवाल जिसके जवाब में हिंदू मुस्लिम की बात आ जाये, उससे पार्टी के प्रवक्ता दूर रहेंगे.
अखिलेश यादव ने सबको अपने मन की बात बता दी है. उन्हें लगता है कि अगर ऐसे सवालों में फंसे तो फिर फ़ायदा बीजेपी को ही होगा. अखिलेश यादव चाहते हैं कि उनकी पार्टी के सभी प्रवक्ता इस बात की गांठ बांध लें. तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी समाजवादी पार्टी के नेताओं को कोई बयान देने से मना किया जा चुका है. पार्टी नहीं चाहती है कि बीजेपी के हिंदू मुसलमान करने का कोई मौक़ा मिले. अखिलेश यादव ने इसके लिए बाक़ायदा एक गाइडलाइन बनवाया है. क्या करना है और क्या नहीं करना है ? इन सभी बातों का ज़िक्र किताब में है.
गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में लोकसभा का उप चुनाव जीतने के बाद से ही अखिलेश यादव एक्शन में हैं. उन्हें पता है कि अगर मायावती के साथ उनका गठबंधन हुआ तो फिर पीएम नरेन्द्र मोदी फंस सकते हैं. अखिलेश यादव ने अपने रणनीतिकार राय साहेब को भी इस मीटिंग में बुलाया है. वे भी पार्टी प्रवक्ताओं को ट्रेनिंग देंगे.