नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम अब तक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी है. केंद्र सरकार इस पर एक्साइज ड्यूटी घटाने को तैयार नहीं है. वहीं, राज्य भी वैट घटाकर राहत देते नहीं दिख रहे हैं. लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से जहां जनता परेशान है, वहीं राज्यों को इससे जबरदस्त मुनाफा हो रहा है. देश के सबसे बड़े बैंक SBI की रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर राज्य पेट्रोल-डीजल पर दाम घटा भी दें तो भी उनके राजस्व को नुकसान नहीं होगा.
राज्यों को नहीं होगा नुकसान
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से 19 प्रमुख राज्यों को 2018-19 में 22,700 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई होगी. एसबीआई ने यह आकलन कच्चे तेल की औसत कीमत 75 डॉलर बैरल और डॉलर का मूल्य 72 रुपए मानकर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य पेट्रोल के दाम 3.20 रुपए और डीजल के 2.30 रुपए घटा दें, तब भी उनका राजस्व बजट अनुमान के बराबर ही रहेगा.
वैट से 1.84 लाख करोड़ मिले
पेट्रोल-डीजल की कीमत और डीलर कमीशन पर राज्य वैट लगाते हैं. एसबीआई ने कुल 19 राज्यों पर रिसर्च की है. इन 19 राज्यों में पेट्रोल पर 24% से 39% तक वैट लगता है. वहीं, डीजल पर 17% से 28% तक वैट लगाया जाता है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का असर वैट की कीमत पर भी पड़ता है, जिससे राज्यों की कमाई बढ़ जाती है. वित्त वर्ष 2017-18 में राज्यों को वैट से 1.84 लाख करोड़ की कमाई हुई थी. इस वित्त वर्ष उन्हें 22700 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान है.
राजकोषीय घाटा हो सकता है कम
एसबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें 1 डॉलर बढ़ती हैं तो इन 19 राज्यों को 1513 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस अप्रत्याशित मुनाफे से राज्य वित्तीय स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो राज्यों के राजकोषीय घाटे को 0.15-0.20 फीसदी कम कर सकता है. हालांकि, बाकी चीजें सामान्य ही रहेंगी.
3.20 रुपए सस्ता हो सकता है पेट्रोल
बजट अनुमान के बराबर राजस्व हासिल करने के बाद राज्यों के पास पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने की गुंजाइश है. वह पेट्रोल पर 3.20 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 2.30 रुपए प्रति लीटर कम कर सकते हैं. इससे उनके राजस्व को कोई नुकसान नहीं होगा. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक के पास पेट्रोल पर 3 रुपए और डीजल पर 2.50 रुपए तक घटाने की गुंजाइश है.
बेस प्राइस पर लगाएं वैट
SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर राज्य पेट्रोल के बेस प्राइस पर वैट लगाए तो पेट्रोल की कीमतें लगभग 5 रुपए 75 पैसे तक कम हो सकती हैं. इसी तरह अगर डीजल की बेस प्राइस पर वैट लगाया जाए तो इसकी कीमत 3 रुपए 75 तक कम हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों को कम करने के लिए इस नए प्राइसिंग मकैनिज्म पर काम किया जा सकता है.
केंद्र के टैक्स पर वैट क्यों?
SBI ने अपनी रिपोर्ट इस बात का भी जिक्र किया कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर वैट लगाने से इसके दाम काफी बढ़ जाते हैं. जबकि उसमें केंद्र का टैक्स भी शामिल होता है. बेस प्राइस पर वैट लगाने से केंद्र के टैक्स पर वैट नहीं लगेगा. इससे कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी. SBI ने इस बात को भी उठाया कि राज्य टैक्स पर टैक्स क्यों लगा रहे हैं.
राज्यों के राजस्व पर असर
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर बेस प्राइस पर वैट लगाया जाएगा तो राज्यों को राजस्व में नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि, यह लंबी अवधि के लिए नहीं होगा. लेकिन, राज्यों को करीब 34627 करोड़ रुपए का नुकसान होगा. मौजूदा समय में राज्य पेट्रोल-डीजल की उस कीमत पर वैट लगाते हैं जिसमें केंद्र का टैक्स शामिल होता है. इससे उपभोक्ता को पेट्रोल-डीजल महंगा मिलता है.
राज्यों में ज्यादा टैक्स
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए एक्साइज ड्यूटी कम करने की मांग हो रही है. मौजूदा वक्त में पेट्रोल पर 19.48 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है. हालांकि, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक बड़ा हिस्सा राज्यों के टैक्स का होता है. राज्य पेट्रोल-डीजल की खपत पर टैक्स लगाते हैं.