नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के वकील नेताओं को निर्देश दिया है कि अनिल अंबानी ग्रुप का कोई मुकदमा वे अदालतों में न लड़ें. पिछले कई दिनों से राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे में अनिल अंबानी के खिलाफ अभियान शुरू किया है और वे मोदी सरकार के साथ-साथ अनिल अंबानी पर भी लगातार आरोप लगा रहे हैं.
संसद से लेकर सड़क तक राहुल गांधी और कांग्रेस के नेताओं की फौज ने राफेल के मुद्दे पर पीएम मोदी के साथ ही उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी को लगातार निशाने पर रखा है. इसे 2019 के चुनावों का बड़ा मुद्दा बताया जा रहा है. इसके बाद अनिल अंबानी और उनकी कंपनी ने तमाम कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सरीखे नेताओं पर करोड़ों का मानहानि का दावा ठोंकते हुए नोटिस भेजा है. हालांकि, इसके जवाब में सभी नेताओं ने कहा है कि वो डरने वाले नहीं और राफेल मुद्दे को उठाते रहेंगे.
अब कांग्रेस के तमाम नेताओं और पार्टी के युवाध्यक्ष राहुल गांधी को चिंता सता रही है कि एक तरफ वो अनिल अंबानी और उनकी कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ कहीं ऐसा ना हो कि पार्टी का कोई बड़ा वकील अनिल अंबानी ग्रुप के पक्ष में कोई केस लड़ता पाया जाए क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर पार्टी की किरकिरी होना मुमकिन है.
सूत्रों के मुताबिक, इसलिए राहुल के कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटते ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस सिलसिले में चर्चा की. नेताओं ने राहुल से कहा कि अंदरखाने पार्टी के नामी-गिरामी वकीलों को इस बावत सचेत कर दिया जाए. सूत्रों का ये भी कहना है कि खुद राहुल गांधी ने भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की इस सलाह पर सहमति दे दी है. इसके बाद खुद पेशे से वकील और राफेल मुद्दे पर नोटिस पा चुके पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने अभिषेक सिंघवी, कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार, जयबीर शेरगिल जैसे नेताओं, जो पेशे से वकील हैं, को पार्टी का स्टैंड बता दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अपने सभी वकीलों को ये बात समझाने में जुटी है. जरूरत पड़ने पर पी. चिदंबरम, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी सरीखे बड़े नेता, जो वकील हैं, उनसे खुद राहुल गांधी बात करके पार्टी का स्टैंड अपनाने को कहने को तैयार हैं. कुल मिलाकर राफेल के मुद्दे पर जरा सी भी किरकिरी या सियासी असहजता न हो, इसलिए राहुल हर कदम उठा रहे हैं. ऐसे में पार्टी के तमाम बड़े नेता, जो पेशे से वकील हैं, वो अनिल अंबानी ग्रुप का कोई केस लड़ते नजर नहीं आएंगे.
वैसे इससे पार्टी के वकीलों की कमाई पर तो असर पड़ेगा लेकिन सत्ता की मलाई की चाहत में थोड़ी कमाई को कुर्बान करना राहुल गांधी के स्टैंड के चलते इनकी मजबूरी बन गई है. विरोधी पक्ष का केस लड़ना पेशे के लिहाज से गलत नहीं कहा जा सकता लेकिन सियासी नैतिकता जरूर इस पर सवाल खड़े करती है. आज की सियासत में कांग्रेस को इस मुश्किल से रूबरू न होना पड़े, इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खासे चिंतित हैं.