हिंदी सिनेमा में प्यार पर आधारित कई फिल्में हैं। जिनमें कितनी भी खराब परिस्थितियां आएं अक्सर प्यार करने वाले फिल्म के आखिर में एक-दूसरे से मिल जाते हैं, तो वहीं ऐसी भी फिल्में हैं जिनमें प्यार करने वाले हमेशा के लिए बिछड़ जाते हैं। इन्हीं सब मिर्च-मसाले से भरी इस हफ्ते निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘मनमर्जियां’ रिलीज हुई। निर्माता आनंद एल राय के साथ अनुराग कश्यप की ये शायद ऐसी पहली फिल्म होगी जो दर्शकों को उम्मीद से काफी अलग लग सकती है। अनुराग की फिल्म में खून-खराबा, गोलियों की आवाज और आपसी रंजिश हमेशा देखने को मिलती है। लेकिन ‘मनमर्जियां’ में अनुराग कश्यप ने प्यार और ‘फ्यार’ (सेक्स) के अंतर को बताने की कोशिश की है। यह फिल्म आज की युवा पीढ़ी के रिश्तों के बीच की जटिलताओं को बहुत अच्छे से बयां करने में कामयाब होती है। साथ ही जोशीले प्रेमी और हारे हुए पति की कहानी को भी बताती है।
फिल्म ‘मनमर्जियां’ में रूमी (तापसी पन्नू) और विक्की (विक्की कौशल) के प्यार की कहानी टिंडर और फेसबुक से शुरू होती है। इसके बाद दोनों छुप-छुपकर मिलने लगते हैं। एक दिन रूमी के परिवारवाले उसे विक्की के साथ रंगे हाथों पकड़ लेते हैं। जिसके बाद वह चाहते हैं कि रूमी की शादी विक्की से ही जो जाए लेकिन जिंदगी को हल्के में समझने वाले और लापरवाह विक्की रूमी के घरवालों से शादी की बात करने के लिए उससे बहाने बनाना शुरू कर देता है। इसके बाद एनआरआई रॉबी (अभिषेक बच्चन) की एंट्री होती है। हॉकी खिलाड़ी रूमी को देखते ही रॉबी उसी से ही शादी करने का मन बना लेता है। इस दौरान ‘मनमर्जियां’ की कहानी में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। रूमी की शादी रॉबी से हो जाती है और फिल्म में एक नया ट्विस्ट आने लगता है।
कनिका ढिल्लन ने ‘मनमर्जियां’ की कहानी को बहुत हद तक युवा पीढ़ी के प्रेम संबंधों को देखकर लिखा है। यह फिल्म अपने पहले भाग में मजेदार कहानी के साथ-साथ काफी हंसाती भी है। फिल्म में कुछ कॉमेडी सीन ऐसी भी देखने को मिलते हैं जो आपको बहुत ज्यादा हंसाते हैं। वहीं ‘मनमर्जियां’ जब इंटरवल के बाद अपने दूसरे भाग में पहुंचती है तो इसकी कहानी बहुत जगह भटकने लगती है। बीच-बीच में फिल्म के सहायक कलाकारों ने हंसाने की कोशिश की लेकिन अंत तक आते-आते ‘मनमर्जियां’ असमंजस मे डालना शुरू कर देती है। या यूं कहें कि फिल्म की कहानी को ही इसी तरह गढ़ा गया है। फिल्म के अंत को जबरदस्ती काफी लंबा खिंचा गया है।
बात करें फिल्म में अभिनय की तो फिल्म ‘मनमर्जियां’ में एक बार फिर से विक्की कौशल ने यह साबित कर दिया कि उन्हें कोई भी किरदार दिया जाए वह उसको दिल से और पूरी ईमानदारी से करते हैं। डीजे विक्की वाले किरदार को उन्होंने परदे पर ऐसे निभाया जिसे आप फिल्म के दौरान बार-बार देखना पसंद करते हैं। वहीं तापसी पन्नू की बात करें तो ‘पिंक’, ‘मुल्क’ और ‘सूरमा’ जैसी फिल्मों से तापसी ‘मनमर्जियां’ में काफी अलग-अलग दिखीं। विक्की के प्यार में पागल रूमी बन तापसी ने भी अच्छा काम किया है। इन दोनों कलाकार के अलावा कई दर्शकों को इस फिल्म में अभिषेक बच्चन से काफी उम्मीदें हो सकती हैं। फिल्म में वह सच में ‘राम जी’ वाले किरदार में दिखे हैं या फिर कह सकते हैं कि उन्हें इस तरह का ही किरदार दिया गया था।
ग्रे वाला शेड, दरया , चोंच और सच्ची मोहब्बत जैसे शानदार गाने फिल्म ‘मनमर्जियां’ को और भी ज्यादा खास बना देते हैं। फिल्म में अमित त्रिवेदी का संगीत दर्शकों के दिलों को जीतने में कामयाब होता है। बैकग्राउंड स्कोर ने भी फिल्म को बहुत हद तक बांधकर रखा है। चूंकि यह फिल्म युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर बनाई गई है तो इस फिल्म के डायलॉग्स भी उसी पीढ़ी से निकले हुए हैं। फिल्मांकन पर नजर डाले तो पंजाब के अमृतसर-अंबाला को कैमरे के जरिए काफी अच्छा दिखाया गया है। फिल्म के कमजोर दृश्य को भी फिल्मांकन के जरिए बेहतर किया गया है। कुल मिलाकर फिल्म ‘मनमर्जियां’ युवा पीढ़ी के प्यार की जटिताओं को दिखाती है। इससे ज्यादा फिल्म में और कुछ नहीं है।
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