Monday , November 4 2024

इस खतरनाक बीमारी के चपेट में हैं यूपी के 20 लाख लोग

लखनऊ। यूपी में करीब 20 लाख लोग गुर्दे की बीमारी की जद में हैं। पथरी व गुर्दे की खराबी के मामले सबसे ज्यादा हैं। यदि गुर्दों की सलामती चाहते हैं तो पर्याप्त पानी पिएं। तीन से साढ़े तीन लीटर पानी सेहतमंद व्यक्ति को पीना चाहिए। आमतौर पर लोग कम पानी पीते हैं। यदि पानी पीते हैं तो एक बार में एक लीटर या उससे अधिक। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीना चाहिए। यह जानकारी केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग के डॉ. मनमीत सिंह ने दी।

वह रविवार को अवध यूरोलॉजी अपडेट कान्फ्रेंस को संबोधित करते थे। डॉ. मनमीत सिंह ने कहा कि कम पानी पीने से गुर्दों में शरीर के जहरीले पदार्थ जमा हो जाते हैं। इससे तमाम तरह की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। गुर्दे की पथरी हो सकती है। उन्होंने बताया कि कम पानी पीने से व्यक्ति को पेशाब कम होती है। अच्छी सेहत के लिए दिन में तीन से साढ़े तीन लीटर पानी पीना चाहिए। इससे पेशाब के रास्ते जहरीले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे गुर्दे ठीक से काम करते हैं। पथरी बनने का खतरा भी काफी हद तक टल जाता है। यूपी की एक प्रतिशत आबादी गुर्दे की किसी न किसी बीमारी की चपेट में है। इसमें पथरी, ट्यूमर, गुर्दे में पानी की थैली, गुर्दे की खराबी समेत दूसरी बीमारी शामिल हैं।

गुर्दे की सेहत के लिए नीबू, संतरा फायदेमंद
गुर्दों की सलामती के लिए नीबू, संतरा और मौसमी का सेवना करना चाहिए। इसमें साइटस पर्याप्त मात्रा में होता है। जो गुर्दे में हानिकारक तत्वों को जमने नहीं देता है। पथरी पनपने का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है। डॉ. मनमीत सिंह ने कहा कि पेशाब से संबंधित 50 प्रतिशत मरीजों में गुर्दे व पेशाब की थैली में पथरी की शिकायत देखने को मिल रही है।

चाय-कॉफी नुकसानदेह 
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. एचएस पहवा ने बताया कि चाय व कॉफी का अत्याधिक सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इन दोनों पेय पदार्थों में ऑक्जीलेट काफी मात्रा में होता है। जो गुर्दे के लिए नुकसानदेह होता है। इससे पथरी की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि जननांघ का कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। शुरुआत में इसका इलाज संभव है। दूरबीन विधि से ऑपरेशन किया जा सकता है।

ट्यूमर होने पर पूरा गुर्दा नहीं निकाला जाएगा
डॉ. मनमीत सिंह ने कहा कि गुर्दे में ट्यूमर की परेशानी भी बढ़ रही है। अब इसका इलाज आसान हो गया है। ट्यूमर के लिए पूरा गुर्दा ऑपरेशन कर निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। तीन से चार सेंटीमीटर तक के ट्यूमर को लैप्रोस्कोप से निकाला जा सकता है। अभी तक गुर्दे में ट्यूमर होने पर उसे पूरा निकालना पड़ता था। केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग में यह ऑपरेशन शुरू हो गया है। अब तक 16 ऑपरेशन कर गुर्दे को बचाया जा चुका है।

इलाज आसान
डॉ. शशिकांत मिश्र ने कहा कि पेशाब संबंधी बीमारी का इलाज आसान हो गया है। इसमें प्रोस्टेट, गॉल ब्लेडर, गुर्दे की पथरी, ट्यूमर व पानी की थैली का ऑपरेशन दूरबीन से मुमकिन हो गया है। पहले बड़ा चीरा लगाकर ऑपरेशन किए जाते थे। अब महीन सुराख से भी ऑपरेशन संभव हो गया है। नतीजतन मरीज को संक्रमण का खतरा कम हो गया है। खून का रिसाव कम होता है। मरीज की दो से तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी हो जाती है। उन्होंने बताया कि गुर्दे में ट्यूमर व पानी की थैली की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एक प्रतिशत आबादी को यह समस्या देखने को मिल रही है।

बिना डॉक्टर की सलाह के न खाएं गोली
केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग के डॉ. मनोज यादव ने कहा कि मौजूदा समय में लोग अच्छी सेहत के लिए विटमिन और कैल्शियम की गोली धड़ाधड़ खा रहे हैं। डॉक्टर की सलाह लेने की भी जरूरत महसूस नहीं करते हैं। यह खतरनाक है। अत्याधिक मल्टी विटमिन, कैल्शियम आदि की गोली का असर गुर्दों पर पड़ता है। गुर्दों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। खान-पान पर ध्यान दें। मौसमी फल खाएं। कसरत करें। इससे सेहत सलामत रहेगी।

गुर्दा रोगी रोज करें कसरत
डॉ. शशिकांत मिश्र के मुताबिक गुर्दे के मरीज के खान-पान के साथ कसरत पर भी ध्यान दें। नियमित सुबह और शाम को टहलें। तनाव से बचें। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करें। उन्होंने बताया कि जो गुर्दा रोगी नियमित व्यायाम करते हैं उनमें बीमारी के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो जाती है। मरीज लंबे समय तक सेहतमंद जीवन जी सकता है। डायलिसिस की जरूरत को भी टाला जा सकता है। दवाओं की खुराक में भी कमी आ सकती है।

फैक्ट्स-
-60 साल की उम्र पार करने वाले 60 प्रतिशत लोगों को प्रोस्टेट की परेशानी हो सकती है
-यूपी की एक प्रतिशत आबादी गुर्दे की बीमारी की जद में
-10 प्रतिशत आबादी गुर्दे की पथरी की चपेट में है
-10 प्रतिशत मरीजों को पेशाब में रूकावट की परेशानी से जूझ रहे हैं।
सावधान रहे
-बार-बार पेशाब आने पर
-पेशाब में जलन
-पेशाब के साथ खून आना
-दर्द के साथ पेशाब होना
-रूक-रूक कर पेशाब होना
-रात में कई बार पेशाब लगना।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch