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एक साल के भीतर मैं ऐसी गाय बनाऊंगा जो फर्राटे से संस्कृत और तमिल बोलेगी: स्वामी नित्यानंद

नई दिल्ली। दक्षिण भारत में चर्चित स्वंभू बाबा स्वामी नित्यानंद ने दावा किया है कि वह गायों को धाराप्रवाह तमिल और संस्कृत बोलना सिखा सकते हैं. नित्यानंद ने ये बातें आत्मविश्वास के साथ कही हैं. उन्होंने प्रवचन के दौरान यह दावा किया है. उनके प्रवचन का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि नित्यानंद दावा कर रहे हैं कि वे गाय और बंदरों को आध्यात्म के जरिए संस्कृत और तमिल बोलना सिखा देंगे. वे कह रहे हैं कि उन्होंने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसके जरिए यह संभव है. दावा किया है कि उन्होंने इस सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग कर ली है.

नित्यानंद ने कहा, ‘बंदर और गाय जैसे जानवरों के शरीर में मनुष्यों की तरह के अंग नहीं होते हैं. मैं आध्यात्म के जरिए जानवरों के शरीर में ये अंग पैदा करने में सक्षम हूं. मैं इस बात को वैज्ञानिक तरीके से भी साबित कर सकता हूं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने इस प्रयोग से संबंधित सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग कर चुका हूं. इसके बाद ऐसी बातें कर रहा हूं. सॉफ्टवेयर की सफल टेस्टिंग के बाद कह सकता हूं कि मैं गाय और बंदर में इंसानों वाले अंग पैदा कर सकता हूं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘इस बात को रिकॉर्ड में रहने दें, मैं एक साल के भीतर इसे साबित करके दिखाऊंगा. मैं बंदर, शेर और बाघ के बोलने की नली (वोकल कॉर्ड) तैयार करूंगा.’

नित्यानंद ने आगे कहा कि बहुत जल्द ही वे ऐसी गाय सामने ला देंगे जो तमिल और संस्कृत भाषा में बात करेंगी. इससे पहले नित्यानंद इस बात का भी दावा कर चुके हैं कि वो ध्यान के जरिए बड़े से बड़े रोगों का इलाज कर सकते हैं.

सेक्स सीडी कांड से सुर्खियों में आए थे नित्यानंद
स्वामी नित्यानंद सेक्स सीडी कांड से सुर्खियों में आए थे. साल 2010 में नित्यानंद की सेक्स सीडी सार्वजनिक होने के चलते उनकी काफ फजीहत हुई थी. साधना के आड़ में सेक्‍स रैकेट चलाने के आरोप में कर्नाटक हाईकोर्ट ने नित्‍यानंद की वह दलील ठुकरा चुकी है जिसमें उन्‍होंने कहा था कि उनके और अभिनेत्री के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे. सत्र अदालत ने नित्यानंद और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का फैसला लिया था, जिसके बाद स्वघोषित साधू के सहयोगियों ने याचिका दायर कर कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. स्वामी नित्यानंद का जन्म पहली जनवरी 1978 को तमिलनाड़ु के थिरुनामलाई में हुआ था. नित्यानंद काफी छोटी उम्र में ही संन्यासी हो गए थे, बाद में उन्होने अपनी एक संस्था बनाई जिसका नाम ध्यानपीतम है.

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