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उत्तर प्रदेश सरकार ‘पत्रकारों’ की सुरक्षा के लिए ‘कानून’ की पक्षधर: दिनेश शर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर काम के दौरान हमले की बढ़ रही घटनाओं पर उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि वह पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिहाज से कानून बनाये जाने के पक्षधर हैं. शर्मा ने आज ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मैं पत्रकारों पर ड्यूटी के दौरान हमले की घटनाओ से चिन्तित हूं. असामाजिक तत्वों द्वारा पत्रकारो पर हमले की घटनाएं हुई हैं जिन्हें रोके जाने की जरूरत है. पत्रकारों को सुरक्षा की आवश्यकता है ताकि वे अपनी ड्यूटी निष्पक्षता और बिना किसी भय के कर सकें.’ उन्होंने कहा कि पत्रकारों को सुरक्षा मिलनी चाहिए .

‘महाराष्ट्र मीडियाकर्मी एवं मीडिया संस्थान :हिंसा और संपत्ति के नुकसान की रोकथाम: कानून 2017’ में खासी दिलचस्पी दिखाते हुए शर्मा ने कहा कि ड्यूटी के समय जोखिम उठाने वालों के लिए यह कानून एक सशक्त उपाय हो सकता है. उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘लेकिन यह चूंकि नीतिगत मसला है … मैं पहले इस पर मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगा.’ उन्होंने कहा कि ऐसे उपायों से अवांछित तत्वों को रोकने में भी मदद मिलेगी, जो अपने ओहदे का फायदा उठाकर पत्रकारिता के पवित्र पेशे को बदनाम करने का प्रयास करतें हैं.

पिछले साल सात अप्रैल को महाराष्ट्र विधानसभा ने पत्रकारों की सुरक्षा से संबंधित देश का पहला कानून पारित किया था. जिसके तहत पत्रकारों या मीडिया घरानों पर हमलों को गैर जमानती अपराध बनाया गया है. मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की ओर से पेश महाराष्ट्र के उक्त विधेयक को विधानसभा ने बजट सत्र के अंतिम दिन बिना चर्चा के ही पारित कर दिया था.

महाराष्ट्र में अब मीडियाकर्मियों पर किसी भी तरह की हिंसा या मीडियाकर्मियों एवं मीडिया संस्थानों की संपत्तियों का नुकसान दंडनीय अपराध हो गया है. पत्रकारों पर हमलों के अधिकांश मामले सामने ही नहीं आतें. पिछले साल उत्तर प्रदेश में एक हिन्दी दैनिक के लिए कार्य करने वाले एक पत्रकार की अज्ञात बदमाशों ने बिल्हौर में नगर पालिका बाजार के निकट हत्या कर दी थी.वहीं इस वर्ष अप्रैल में एक टीवी पत्रकार को, दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आये अज्ञात बदमाशों ने उनके गाजियाबाद के कविनगर स्थित आवास के बाहर गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

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