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आपराधिक छवि के नेता को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित आ गया फैसला

नई दिल्ली। आपराधिक छवि के नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि संसद को यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाना चाहिए कि आपराधिक मामलों का सामना करने वाले लोग राजनीति में प्रवेश न करें।

अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग को देना होगा। साथ ही सभी राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों की सूची और विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों की हर प्रकार की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है। पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल थे।

फैसले की 10 खास बातें…

– चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग को एक फॉर्म भर कर देना होगा, जिसमें उनका आपराधिक रिकॉर्ड और आपराधिक इतिहास ‘बड़े बड़े अक्षरों’ में दर्ज होगा।

– उम्मीदवार अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में राजनीतिक दलों को पूरी सूचना दें।

– राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें।

– सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से गहन प्रचार किया जाना चाहिए। उम्मीदवार के फॉर्म भरने के बाद बाद कम से कम तीन बार ऐसा करना चाहिए।

– भारतीय राजनीति में अपराधीकरण के स्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

– दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट रोक नहीं लगा सकता।

– भ्रष्टाचार एक राष्ट्रीय आर्थिक आतंक बन गया है। यह सीधे सरकार के लोकतांत्रिक रूप की जड़ पर हमला करता है।

– जिन लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं, विधायिका में उनके प्रवेश और कानून बनाने में उनकी भागीदारी को रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत है।

– किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का अपराधीकरण चिंतित करने वाला है।

– भ्रष्टाचार और राजनीति का अपराधीकरण भारतीय लोकतंत्र की नींव को खोखला कर रहा है। संसद को इस महामारी से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

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