नई दिल्ली। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम चीजों से आधारकी अनिवार्यता को हटा दिया है, अब आधार एक पहचान के रूप में ही काम करेगा.
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध बताया है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है.
पीठ ने निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने वाले आधार कानून के प्रावधान 57 को रद्द कर दिया है. यानी अगर पेटीएम या अन्य मोबाइल कंपनियां अनिवार्य रूप से आधार की मांग नहीं कर सकती हैं.
गौरतलब है कि अभी तक निजी कंपनियां किसी भी तरह की सर्विस देने से पहले आधार कार्ड मांगती थी, जो अब नहीं मांग सकेंगी. कई मोबाइल कंपनियों ने इस तरह की शर्त भी रखी थी कि निश्चित तारीख से पहले आधार ना जोड़ने पर मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा.
न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करना अनिवार्य करना असंवैधानिक है. वहीं कोर्ट ने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करने को भी अनिवार्य बनाना असंवैधानिक बताया है.