जश्विंदर सिधू
कई बार आप अपना सब कुछ झोंक देते हैं और फिर भी वह नहीं हो पाता जो आप सोचते हैं. पहली बात साफ कर देनी चाहिए कि दुबई और आबू धाबी में चल रहे एशिया कप का मेजबान कोई और नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) है.
यह भी कि जिस समय खराब संबंधों के चलते पाकिस्तान और भारत के बीच डिप्लोमेटिक लेवल पर बातचीत होते-होते टूट गई, दोनों मुल्क एशिया कप में दो मैच खेल गए हैं.
ऐसे में, जब देश में राष्ट्रवाद की हवा बह रही है और पाकिस्तान के खिलाफ माहौल पहले से ज्यादा गर्म है, बीसीसीआई और उसके साथ प्रसारण का करार करने वाली कंपनी ने एशिया कप में दोनों देशों के बीच तनातनी को फिर सफलता के साथ भुनाया है.
एशिया कप का पूरा शेड्यूल इस तरह से तैयार किया गया, जिसमें भारतीय टीम को ज्यादा भागदौड़ न करनी पड़े और फाइनल में सिर्फ भारत और पाकिस्तान ही खेलें.
क्या किसी को हैरानी नहीं होती कि छह टीमों के टूर्नामेंट में ऐसा कार्यक्रम बना कि भारत और पाकिस्तान आपस में तीन मैच खेल सकते थे! वह तो बांग्लादेश ने बुधवार को पाकिस्तान को हराकर सारी प्लानिंग पर पानी फेर दिया है.
अब सवाल यह है कि इसे ‘टूर्नामेंट फिक्सिंग’ कहा जाए या नहीं! जब टूर्नामेंट की बाकी टीमों को देर रात मैच खेलने के बाद अगले दिन सुबह 150 किलोमीटर दूर अबू धाबी में होने वाले अगले मुकाबले के लिए रवाना होना पड़ रहा था, तो सिर्फ टीम इंडिया ही थी जो अपने होटल के कमरे में आराम कर रही थी. यानी सिर्फ टीम इंडिया ही ऐसी टीम थी, जिसने अपने सारे मैच दुबई में खेले हैं और खेलेगी.
असल में बाकी की टीमें बीसीसीआई और टीवी प्रसारण करने वाली कंपनी के लिए सिनेमाघरों में फिल्म चलने से पहले विज्ञापनों की तरह हैं. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही अंदाजा था कि भारत ही फाइनल में खेलेगा.
छह टीमों के टूर्नामेंट में दो टॉप टीमों को तीन बार भिड़ाने की तैयारी थी और इस पर किसी को भी हैरानी नहीं हुई. असल में प्रसारण करने वाली कंपनी के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबला हमेशा कुबेर का खजाना लूटने जैसा रहा है. ऐसे में वह कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहता था.
ऐसा लगता है कि इस टूर्नामेंट के आयोजकों के लिए भारत और पाकिस्तान को छोड़ कर किसी दूसरी टीम के कोई मायने नहीं, बल्कि वे उनके लिए फिलर की तरह रहे.
भारत के साथ देर रात मैच खेलने के बाद बांग्लादेश को अगले दिन सुबह 150 किलोमीटर का सफर कर अबू धाबी जाना पड़ा, जहां उसे अफगानिस्तान के साथ खेलना था.
टीम को रिकवरी को समय ही नहीं मिला और जब मैच खत्म हुआ तो स्कोर बोर्ड पर बांग्लादेश की 136 रन की हार चढ़ी हुई थी. लेकिन लगता है कि बांग्लादेश ने बीसीसीआई और प्रसारण करने वाली कंपनी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है.
यह कहना मुश्किल है कि भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल न होने के कारण प्रसारण करने वाली कंपनी को कितना नुकसान उठाना पड़ेगा. लेकिन उसकी हालत यह सोच कर खराब हो रही होगी कि अगर यह मुकाबला पूरे सौ ओवर न चला तो क्या होगा!
इस पूरे खेल में क्रिकेट प्रेमियों के लिए उनकी अपनी भावनाओं के सिवाय कुछ नहीं है. वे इस खेल से प्यार करते हैं और जरूरी नहीं है कि प्रेम में दगाबाजी न हो.
जाहिर है कि एशिया कप के इस पूरे आयोजन ने साबित कर दिया कि अगर आयोजक और टीवी कंपनी मिल जाएं तो बड़े टूर्नामेंट को भी रामलीला कमेटियों की तरह आयोजित किया जा सकता है. जिसमें कई बार चीफ गेस्ट न मिलने पर रावण की मौत एक दिन के लिए टाल दी जाती है या फिर एक दिन पहले राम का तीर उसकी नाभि में घुस जाता है.