Tuesday , May 21 2024

जन्मदिन विशेष: जब सुरों की देवी लता मंगेशकर को दिया गया था जहर…

नई दिल्ली। सुरीले गानों की बात हो तो हमारे दिमाग में सबसे पहले जिस चेहरे की छवि बनती है वो हैं हमारी स्वर कोकिला लता मंगेशकर. इंडियन सिनेमा का आज जो रूप है और यहां की फिल्मों में गानों की जो मुख्य भूमिका है उसमें लता मंगेशकर का जो योगदान है उसे कौन नकार सकता है. इंडियन क्लासिकल हो या कैबरे सॉग या फिर गम में डूबी किसी नायिका का दर्द, सभी कुछ लता दीदी की आवाज में पूरी तरह ढल जाता है. इसलिए अगर आज उन्हेें हम सुरों की देवी का साक्षात रूप कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सुरों की देवी को जान से मारने की साजिश भी हो चुकी है. जी हां 33 साल की उम्र में लता ने इस विश्वासघात को झेला था. आइए जानते हैं अपनी सुरों की जादूगरी करने वाली लता मंगेशकर के 89 वें जन्मदिन पर उनके जीवन के बारे में कुछ ऐसी ही खास बातें.

पिता ही रहे पहले गुरू
अपनी मधुर आवाज से पिछले कई दशक से संगीत के खजाने में नये मोती भरने वाली लतामंगेशकर 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुईं. दीनानाथ मंगेशकर भी संगीत के बड़े जानकार और थिएटर आर्टिस्ट थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी बोलना सीखने की उम्र में गाने की शिक्षा देना शुरू कर दी. लेकिन वह भी नहीं जानते थे कि यह काम करके वह अपनी बेटी का नहीं पूरे भारतीय संगीत का भविष्य गढ़ रहे हैं.

लता मंगेशकर तीन बहनों मीना मंगेशकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर और एक भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं. उनके बचपन का नाम हेमा था लेकिन एक दिन थियेटर कैरेक्टर ‘लतिका’ के नाम पर उनका नाम लता रखा गया.

कम ही लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर को उनके करियर की ऊंचाईयों पर पहुंचा देख कोई इतना भी जल उठा था कि उन्हें जान से मारने की कोशिश तक करने से बाज नहीं आया. 1962 में जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं तो उन्हें धीमा जहर दिया गया था. लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में इस बात को विस्तार से लिखती हैं. पद्मा सचदेव ने अपनी किताब में लिखा कि ‘लता जी जब 33 साल की थीं तो उन्होंने मुझे ये बात बताई थी. एक दिन सुबह उनके पेट में तेज दर्द होने लगा. थोड़ी देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हुईं. जिसमें हरे रंग की कोई चीज थी. उन्होंने बताया कि वो बिल्कुल चलने की हालत में नहीं हैं. उनके पूरे शरीर में तेज दर्ज होने लगा.’

पद्मा सचदेव ने आगे लिखा कि ‘इस स्लो प्वॉइजन की वजह से लता मंगेशकर बेहद कमजोरहो गई थीं. उन्होंने तीन महीने तक बेड रेस्ट किया और कोई गाना नहीं गा पाईं. उनकी आंतों में दर्द रहता था. खाने में भी बेहद सावधानी बरतनी पड़ती थी. उन दिनों लता मंगेशकर केवल ठंडा सूप ही लेती थीं.’

नहीं लगा पता कि किसने दिया जहर
लता मंगेशकर को जहर देने वाले का नाम आज भी रहस्य ही है, लेकिन बताया जाता है कि उस घटना के बाद से लता जी का कुक फरार हो गया था, जिसके बाद वो कभी अपना बाकी बचा वेतन लेने भी नहीं आया. उस कुक ने लता मंगेशकर के पहले भी कई घरों में काम किया था.

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch