नई दिल्ली। एशिया आधुनिक क्रिकेट का मक्का है. यह एकमात्र महादेश है, जिसके तीन देशों ने वर्ल्ड कप जीते हैं और जिसके चार देशों को टेस्ट नेशंस का दर्जा हासिल है. इसके बावजूद, जब 14वां एशिया कप शुरू हुआ तो इसके प्रति क्रिकेटजगत में ज्यादा उत्साह नही था. वजह कई थीं, जैसे: टूर्नामेंट की कमजोर मानी जाने वाली टीमें, टफ शेड्यूल, स्टार विराट कोहली का ना खेलना… लेकिन इनसे भी बड़ी एक वजह यह थी कि ब्रान्ड क्रिकेट जीने वालों को भरोसा नहीं था कि यह टूर्नामेंट इतना उलटफेर भरा और रोमांचक हो सकता है.
अब 14वां एशिया कप अपने अंजाम तक पहुंच चुका है. टीम इंडिया अब चैंपियन है. उसने लगातार दूसरी और कुल सातवीं बार यह खिताब जीता है. लेकिन यह तय मानिए कि आज से एक साल बाद जब एशिया कप याद किया जाएगा तो यह भारत के चैंपियन बनने के लिए नहीं होगा. यह तो अपने उलटफेरों खासकर, अफगानिस्तान के वनडे क्रिकेट में नए स्टार के तौर पर उभरने के लिए याद किया जाएगा. कमतर मानी जाने वाली अफगानिस्तान अकेली टीम रही, जिसके मैच में निरंतरता दिखी. उसने ग्रुप मैच में श्रीलंका और बांग्लादेश को हराया. भारत को टाई पर रोका और पाकिस्तान से आखिरी ओवर में हारा.
चैंपियन बांग्लादेश दूसरी टीम रही, जिसे इस टूर्नामेंट को रोचक बनाने का श्रेय मिलना चाहिए. उसने अपने से अनुभवी और ताकतवर मानी जाने वाली टीमों पाकिस्तान और श्रीलंका को टूर्नामेंट से बाहर किया. फिर फाइनल में भारत को कड़ी टक्कर दी. और हां, हॉन्गकॉन्ग को मत भूलिएगा. क्रिकेट प्रशंसकों को जिस हॉन्गकॉन्ग के खिलाफ रिकॉर्ड की बारिश की उम्मीद थी, उसने टीम इंडिया के माथे पर पसीना ला दिया था. वह हॉन्गकॉन्ग ही था, जिसने इस टूर्नामेंट का मोमेंटम सेट किया.
अफगानिस्तान और बांग्लादेश के इस प्रदर्शन का असली फायदा विश्व क्रिकेट को मिलने जा रहा है. क्रिकेट जगत में ईस्ट अफ्रीका, कनाडा, यूएई, बरमूडा, स्कॉटलैंड से लेकर कई ऐसी टीमें रही हैं, जिनके नाम वर्ल्ड कप में खेलने से लेकर कई उपलब्धियां दर्ज हैं. लेकिन अफगानिस्तान इस कड़ी में वह सशक्त हस्ताक्षर है, जो वर्ल्ड क्रिकेट में नई ऊंचाइयां तय करने जा रहा है. हालांकि, आईसीसी के ‘अदूरदर्शी’ फैसलों के कारण यह टीम वर्ल्डकप-2019 में नहीं दिखेगी. यह पहला मौका होगा, जब आईसीसी वर्ल्ड कप (वनडे) में कोई टेस्ट टीम नहीं दिखेगी. आईसीसी यकीनन, अपनी इस गलती को सुधारने के तरीके ढूंढ़ेगी (हालांकि, वर्ल्ड कप में अफगान टीम की एंट्री संभव नहीं है).
दूसरी ओर, यह एसीसी (एशियन क्रिकेट काउंसिल) के लिए भी मौका है, कि वह फुटबॉल के यूरो कप की तरह एशिया कप को रुतबा दिलाए. यूरो कप, वर्ल्ड कप के बाद फीफा का दूसरा सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट है और दुनियाभर के फुटबॉलप्रेमी इसका इंतजार करते हैं. बहरहाल, यह तय है कि जिन क्रिकेटप्रेमियों ने स्टार वैल्यू कम होने की वजह से एशिया कप को कमतर आंका था, वे अब अपनी राय बदल चुके होंगे क्योंकि इसके हर मैच ने दर्शकों को बांधे रखा. कम स्कोर के बावजूद ज्यादातर मैचों में एक-एक रन के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिला.
टीम इंडिया में नंबर-4 की म्यूजिकल रेस जारी रहेगी
टूर्नामेंट और अन्य टीमों के इतर बात करें तो भारतीय क्रिकेटप्रेमी खलील अहमद को एक खोज के रूप में देख सकते हैं. ऐसा लगा कि भारत के तीसरे गेंदबाजी की तलाश पूरी हो रही है, जो भुवनेश्वर और जसप्रीत बुमराह के साथ भारतीय आक्रमण को विविधता दे सकते हैं. इसके अलावा केदार जाधव नंबर-6 बल्लेबाज के तौर पर अपना स्थान पक्का करते दिख रहे हैं. लेकिन नंबर-4 की समस्या जस की तस दिख रही है. दिनेश कार्तिक ने नंबर-4 पर ठीक-ठाक रन बनाए, लेकिन वे अहम मौकों पर विकेट गंवाते रहे. मनीष पांडे को एक मौका मिला, जो उन्होंने गंवा दिया. तीसरे क्रम पर बैटिंग कर रहे अंबति रायडू भी फाइनल में फेल हो गए. यानी, नंबर-4 की म्यूजिकल रेस जारी रहेगी.