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एक इंटरव्यू से देश की सियासत में आया उबाल, विपक्ष की एकता हुई हवा

लखनऊ। थोड़े वक्त पहले तक माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा है. माना जा रहा था कि विपक्ष एक मजबूत गठबंधन तैयार कर रहा है जो बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोक सकता है. एसपी, बीएसपी, कांग्रेस, आरएलडी जैसे दल इस गठबंधन का हिस्सा माने जा रहे थे. लेकिन अब कुछ ऐसा हुआ है जिससे विपक्ष बिखरता नजर आ रहा है.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव इस गठबंधन के लिए लंबे वक्त से प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने पहले बीएसपी अध्यक्ष मायावती से बात की, फिर आरएलडी से हाथ मिलाया और फिर कांग्रेस के साथ बातें कीं. मायावती ने जब सम्मानजनक सीटों की बात कही तो उन्होंने इस मांग को स्वीकार कर लिया, साथ ही कांग्रेस से भी बड़ा दिल दिखाने की अपील की. अब उनकी सारी कवायद बिखरती दिख रही है.

दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि मायावती को केंद्र की बीजेपी सरकार डरा रही है. उनके इस इंटरव्यू ने देश की राजनीति में हंगामा खड़ा कर दिया है.

दिग्विजय ने कहा कि मायावती पर मोदी और अमित शाह दबाव बना रहे हैं. इसी वजह से विपक्षी एकता बनाने में मुश्किल आ रही है. मायावती को डर है कि अगर वो बीजेपी के खिलाफ गईं तो ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां उनके केस में तेजी ला सकती हैं और इससे मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मायावती पर केंद्र सरकार का बहुत दबाव है इसीलिए उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया. दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न सिर्फ दिग्विजिय सिंह को बीजेपी का एजेंट करार दे दिया बल्कि कांग्रेस से किसी भी तरह के गठबंधन की संभावनाओं को ही खारिज कर दिया.

मायावती ने कहा कि हम बाबा साहब के अनुयायी हैं और हम किसी के हाथ का खिलौना नहीं बनते. दिग्विजय सिंह सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के डर से बीएसपी और कांग्रेस गठबंधन नहीं होने देना चाहते हैं. इसके पीछे दिग्विजय सिंह का निजी स्वार्थ है.

मायावती ने कहा, ‘बीएसपी से गठबंधन करने स पहले यह ज़रूर याद रखना चाहिए कि यह संघर्षों से निकली हुई पार्टी है. मायावती ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी दिल से कांग्रेस का गठबंधन चाहते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो.

मायावती ने कहा कि कांग्रेस, गठबंधन की आड़ में बीएसपी की पहचान खत्म करना चाहती है. कांग्रेस जातिवादी पार्टी है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने गुजरात चुनाव परिणाम से कोई सबक नहीं लिया है. पिछले परिणामों से साफ पता चलता है कि जहां भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से रहा, वहां भाजपा ने आसानी से जीत दर्ज की.”

अब इस मुद्दे पर कांग्रेस अपनी सफाई पेश कर रही है. मायावती की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ” बीएसपी चीफ मायावती ने भावनाएं व्यक्त की हैं, हम उनकी भावना का आदर करते हैं. अगर राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मायावती में विश्वास है और बीच में सलवटें आ रही हैं तो हम उनको ठीक कर लेंगे.”

अखिलेश डिजास्टर मैनेजमेंट की कोशिशें कर रहे हैं. उन्होंने साफ कहा कि मायावती दबाव में कुछ नहीं करतीं. उन्होंने कांग्रेस से एक बार फिर बड़ा दिल दिखाने की अपील की है.

एबीपी न्यूज़ पर दिग्विजय सिंह का इंटरव्यू प्रसारित होने के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई थी. इसके बाद मायावती का बयान सामने आया, फिर कांग्रेस का और फिर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष का. अब देखना ये होगा कि क्या विपक्ष एक हो पाएगा? क्या 2019 में महागठबंधन मोदी को रोक पाएगा?

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